बलिया में बायो रेमिडिएशन तकनीक से साफ होंगे शहर के नाले, गंगा में गिराएंगे सिर्फ शोधित मल-जल
नगर पालिका परिषद भी खुद को ढालने में जुट गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का आदेश है कि गंगा मेें मल-जल सीधे नहीं बहाया जाए लेकिन बलिया में अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है। अब शासन ने प्रकरण में सख्त रुख अपनाया है।
बलिया [संग्राम सिंह]। महानगरों की तर्ज पर अब नगर पालिका परिषद भी खुद को ढालने में जुट गया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का आदेश है कि गंगा मेें मल-जल सीधे नहीं बहाया जाए, लेकिन बलिया में अभी तक इस पर अमल नहीं हुआ है। अब शासन ने प्रकरण में सख्त रुख अपनाया है। नगरीय विकास विभाग ने परिषद को शोधित करने के बाद ही गंगा में मल-जल गिराने के आदेश दिए हैं। शासन ने बायो रेमिडिएशन तकनीक को प्रभावी करने की मंजूरी दी है। परिषद ने ढाई करोड़ रुपये का ई-टेंडर किया है। पहले फेज मेें 17 किलोमीटर लंबे कटहल नाले को चयनित किया गया है। पांच स्थान निर्धारित किए हैं, यहां डोजिंग करके मल-जल को शोधित किया जाएगा। यह नाला शहर के 74 छोटे व बड़े नालों को सीधे जोड़ता है। यहां प्रयोग सफल होने के बाद इस तकनीक को कई और नालों में प्रभावी करने की तैयारी चल रही है। एक अक्टूबर को कंपनी के चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। अगले महीने से परियोजना को अमल में लाएंगे।
पांच स्थानों पर डोजिंग, तीन प्वाइंट पर लगाएंगे जाली : शहर के बेदुआ, जापलिनगंज पुलिस चौकी, चित्तू पांडेय चौराहा, विजयीपुर व महावीर घाट पर डोजिंग (पानी में बायोलाजिकल कंपाउंड पर्सनीक्रेटी 713 का मिश्रण) किया जाएगा। इसके अलावा बेदुआ, महावीर घाट व विजयीपुर में जाली लगाया जाएगा। नाले मेेंं बहने वाला कचरा रोज जाली से छानकर अलग किया जाएगा।
क्या है बायो रेमिडिएशन तकनीक : तकनीक में सूक्ष्म जीवों का प्रयोग कर पर्यावरणीय प्रदूषकों को कम या रोका जा सकता है। प्रदूषित जगहों को उनके पूर्व रूप में लाया जाता है तथा भविष्य में होने वाले प्रदूषण की रोकथाम होती है। तकनीक में नालों के सिल्ट में एंजाइम की डोजिंग कर रिएक्शन कराया जाता है। नालों में स्लज को रोकने के लिए छोटे-छोटे हिस्से बनाए जाते हैं। लिक्विड फॉर्म में मौजूद एंजाइम डाले जाएंगे। रिएक्शन से स्लज में बैक्टीरिया ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है। नाले की जो भी गंदगी होती है, वह लिक्विड फॉर्म में तब्दील हो जाती है।
बोले अधिकारी : टेंडर कर दिया गया है। अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से पालिका जल प्रदूषण को लेकर काम शुरू कर देगा। कंपनी ही पूरा काम देखेगी। इससे गंगा को स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी। - दिनेश विश्वकर्मा, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद।