वाराणसी में बुद्ध पूजा के साथ मनाई गई अनागारिक धर्मपाल की जयंती, विश्व शांति के लिए की कामना

वाराणसी सारनाथ स्थित महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर गुरुवार को मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के संस्थापक स्व. अनागारिक धर्मपाल की 156वीं जयंती बुद्ध पूजा के साथ मनाई गई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 10:12 PM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 10:12 PM (IST)
वाराणसी में बुद्ध पूजा के साथ मनाई गई अनागारिक धर्मपाल की जयंती, विश्व शांति के लिए की कामना
वाराणसी में बुद्ध पूजा के साथ मनाई गई अनागारिक धर्मपाल की जयंती, विश्व शांति के लिए की कामना

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ स्थित महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया की ओर गुरुवार को मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के संस्थापक स्व. अनागारिक धर्मपाल की 156वीं जयंती बुद्ध पूजा के साथ मनाई गई। इस मौके पर जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा व संयुक्त सचिव भिक्षु के मेधानकर थेरो ने स्व. अनागारिक धर्मपाल की आदमकद प्रतिमा पर दीप जलाया। वहीं मंदिर व बोधि वृक्ष के नीचे विश्व शांति के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने पूजा की।

कार्यक्रम में जिलाधिकारी ने भगवान बुद्ध के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करते हुए पूरी मानवता के लिए एक शांति और सौहाद्र्र का मार्ग प्रशस्त करने की कामना की। उन्होंने कहा अनागारिक धर्मपाल महाबोधि सभा के संस्थापक और बौद्ध धर्म के पुनरुद्धारक की दूरदर्शिता के परिणाम स्वरूप ही मूलगंध कुटी विहार में भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली का वृहद रूप आज विद्यमान है। इसके अलावा बिहार, बोध गया व पूरे उत्तर भारत में जहां-जहां भी भगवान बुद्ध के चरण पड़े उनके पुनरुद्धार का श्रेय अनागारिक धर्मपाल को ही है। जिलाधिकारी ने कहा अंग्रेजी शासनकाल के समय भी जब परिस्थितियां भारतीय संस्कृति के अनुरूप नहीं थीं। उस समय भी इन्होंने इतिहास को पहचाना, संस्कृति को भी पहचाना और भविष्य की नींव रखते हुए अपने जीवनकाल में ही इतने बड़े-बड़े कार्य करवाए क्योंकि एक संस्कृति की परंपरा टूट जाने के बाद दोबारा उसे स्थापित करना बहुत मुश्किल कार्य होता है जिसे असाधारण रूप से धर्मपालजी द्वारा किया गया।

जिलाधिकारी ने महाबोधि सभा को भगवान बुद्ध की स्थली और उनकी जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण निशानियों को मूल रूप से संग्रहालय में सहेज कर रखे जाने को वाराणसी, प्रदेश सहित भारत व विश्व के अनुयायियों के लिए अमूल्य धरोहर बताया जिनके अध्ययन से भगवान बुद्ध के जीवन शैली को सरलता से समझा एवं आत्मसात किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भी यहां आकर लोग प्रेरणा लेते रहेंगे। केवल भारत ही नहीं विश्व में जहां-जहां भी भगवान बुद्ध के अनुयायी हैं उनके लिए निश्चित ही आध्यात्मिक प्रेरणा का स्रोत है। उनके आत्मा की ज्योति पूरे विश्व को प्रकाशित करती है। इस मौके पर सारनाथ के केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. गेशे नवांग समतेन से औपचारिक भेंट की। वहीं संयुक्त सचिव भिक्षु के मेधानकर थेरो ने कहा कि अनागारिक धर्मपाल ने बुद्ध का मंदिर बनवाकर बहुत बड़ा काम किया है। बुद्ध ने समाज में शांति स्थापित करने के लिए उपदेश दिये। उधर शाम को मूलगंध कुटी मंदिर में दीपदान भी किया गया।

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