पांच और दिमागी बुखार के मरीज पहुंचे अस्पताल

संक्रामक रोगों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। बुखार पर नियंत्रण पाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। दिमागी बुखार की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। सीएचसी पर भी मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। शनिवार को भी जिला अस्पताल में दिमागी बुखार से पीड़ित पांच और मरीजों को भर्ती कराया गया है। जबकि डायरिया पीड़ित मरीजों में 9 की हालत गंभीर है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 12 Oct 2019 11:39 PM (IST) Updated:Sun, 13 Oct 2019 06:05 AM (IST)
पांच और दिमागी बुखार के मरीज पहुंचे अस्पताल
पांच और दिमागी बुखार के मरीज पहुंचे अस्पताल

जागरण संवाददाता, उन्नाव : संक्रामक रोगों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। बुखार पर नियंत्रण पाने के तमाम प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। दिमागी बुखार की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। सीएचसी पर भी मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। शनिवार को भी जिला अस्पताल में दिमागी बुखार से पीड़ित पांच और मरीजों को भर्ती कराया गया है। जबकि डायरिया पीड़ित मरीजों में नौ की हालत गंभीर है।

संचारी रोग नियंत्रण अभियान चला लोगों को जागरूक करने का दावा किया गया है। यही नहीं इस अभियान के तहत गांव तक संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए सफाई, दवा का छिड़काव आदि कराने का दावा किया गया, लेकिन उसके बाद भी गांव-गांव फैल रहा बुखार स्वास्थ्य विभाग के दावों की कलई खोल रहा है। जिला अस्पताल में लगातार बढ़ते मरीजों की संख्या से साफ है कि संक्रामक रोगों में खासकर बुखार अपनी जड़ जमा चुका है। दिमागी बुखार के मरीजों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। शनिवार को भी जिला अस्पताल में अमृता (35) बांगरमऊ, रजिया (28) छिपियाना, तबस्सुम बेगम (30) तालिब सरांय, वंदना सिंह (42) जवाहर नगर, विमला सिंह (55) गांधीनगर को भर्ती कराया गया है। परिजनों का कहना है तेज बुखार के साथ झटका भी आ रहा है। यह लक्षण दिमागी बुखार के हैं। डॉक्टर आशीष सक्सेना का कहना है कि ब्लड जांच कराई गई है अभी रिपोर्ट नहीं आई है। इसके अलावा डायरिया के 9 मरीजों को भर्ती कराया गया है।

अव्यवस्था से जूझ रहे मरीज

जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण अव्यवस्थाएं भी बढ़ गई हैं। इमरजेंसी में एक बेड पर दो-दो मरीज तो भर्ती किए ही जा रहे हैं। उसके बाद भी बेडों की किल्लत का सामना करना पड़ता है। अव्यवस्था का आलम यह है कि मरीजों को वार्ड से इमरजेंसी शिफ्ट करने के समय स्ट्रेचर तक नहीं मिलता तीमारदार हाथ में बोतल पकड़ मरीजों को वार्ड ले जाते हैं।

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