राजू की सीख से मुनाफे की राह पर किसान

धानीखेड़ा के किसान राजू सिंह पुश्तैनी परिपाटी पर चलते हुए परंपरागत खेती करते आ रहे थे। इसमें कभी फायदा तो कभी नुकसान होता था। साथ ही तमाम तरह के झंझट उठाने पड़ते थे। दो साल पहले केला की खेती करना शुरू किया तो हर साल 3 लाख की आमदनी होने लगी तो परंपरागत खेती को अलविदा कह दिया। उसके बाद केला की पौधाशाला डाल दी।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 11 Nov 2019 11:30 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 06:25 AM (IST)
राजू की सीख से मुनाफे की राह पर किसान
राजू की सीख से मुनाफे की राह पर किसान

आशीष दीक्षित, उन्नाव

किसान राजू सिंह भी अन्य किसानों की तरह परंपरागत खेती कर गुजर-बसर कर रहे थे। कभी फायदा होता तो ज्यादातर नुकसान ही उठाना पड़ता। साथ ही तमाम झंझटों से होकर गुजरते। दो साल पहले डरते-डरते एक हेक्टेयर भूमि में टिश्यू कल्चर विधि से तैयार किए गए केले के पौधे रोपे। तब से हर साल तीन लाख की आमदनी हो रही है। उनसे प्रेरित होकर 50 से अधिक किसान केला की खेती करने लगे हैं।

धानीखेड़ा गांव के किसान राजू सिंह ड्रिप तकनीक से सिंचाई के लिए अन्य किसानों की मदद भी कर रहे हैं। हर सप्ताह पाठशाला के जरिये किसानों को बागवानी के फायदे भी बताते हैं। कहते हैं परंपरागत खेती से कहीं अधिक बेहतर केला की खेती है। एक बार पौधा लगाने के बाद चार साल तक फल मिलता है। एक हेक्टेयर भूमि में करीब 3086 पेड़ हैं। पौधा रोपित करने से लेकर सिंचाई व खाद में करीब 72 हजार रुपये खर्च आता है। एक पेड़ से करीब 40 से 50 किलो फल मिलता है। बोले, केले की खेती के लिए पहले साल 32 हजार हजार रुपये अनुदान मिला था, जबकि दूसरे साल 10 हजार रुपये मिले थे। अनुदान का लाभ व अन्य किसानों को भी दिला रहे हैं।

गांव में तैयार की पौधशाला

राजू ने गांव में पौधशाला भी बनाई है। बाजार में केला का पौधा 30 रुपये में मिलता है, जबकि यहां 20 रुपये में उपलब्ध है। किसानों को उधार में भी पौधे दिए जाते हैं। पौधशाला में चार हजार पौधों का स्टाक रहता है।

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टिश्यू कल्चर विधि से तैयार केला की खासियत

केला की डंठल के एक ऊतक को वैज्ञानिक विधि से पौधा बनाया जाता है। इसमें पौधों की ग्राफ्टिंग नहीं की जाती है। यह पौधा 90 फीसद रोगरहित होता है। कम पानी में भी भरपूर पैदावार होती है। सामान्य पौधा 16 माह में फल देता है, जबकि टिश्यू कल्चर से विधि से तैयार पौधा 12 माह में फल देने लगता है।

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राजू सिंह खुद के साथ अन्य किसानों को समृद्ध करने में जुटे हैं। कटरी क्षेत्र में केला बेल्ट बनाने की रणनीति बनाई गई है। इसमें राजू की पहल मददगार साबित हो रही है।

-महेश श्रीवास्तव, जिला उद्यान अधिकारी

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