पैतरे बदल कर खत्म की जा रही हरियाली

जांच परख के बिना दी जा रही कटान की अनुमति

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 10:53 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 10:53 PM (IST)
पैतरे बदल कर खत्म की जा रही हरियाली
पैतरे बदल कर खत्म की जा रही हरियाली

सुलतानपुर : विकास के नाम पर अंधाधुंध पेड़ों की कटान तो हो ही रही है, निजी वृक्षों की भी कटान तमाम प्रतिबंधों और नियमों के बावजूद अब पैतरे बदलकर की जा रही है। निजी भूमि पर लगे पेड़ को काटने के लिए वन विभाग से मिलने वाली अनुमति के दौरान तमाम शर्ताें के साथ पांच सौ की रुपये जमानत राशि जमा करनी होती है। बीते पांच वर्षों में कोई भी आवेदक इस राशि को लेने नहीं आए है। ऐसे में साफ होता है कि किसानों के पेड़ ठेकेदारी पर कट रहे हैं। इस कटान में पुलिस और वन कर्मियों भूमिका भी संदेह के दायरे में आती है।

-यह है कटान के नियम :

सार्वजनिक स्थलों पर लगे वृक्षों को काटने के लिए वन विभाग मौके का सर्वे कर काटे जाने वाले पेड़ों की पंप फिट की ऊंचाई पर इसका व्यास दर्ज कर छपान की कार्रवाई करता है। इसी आधार पर वन निगम वृक्षों का मूल्यांकन कर इसकी नीलामी करता है। पूरी प्रक्रिया में छह माह से लेकर एक साल तक का समय लगता है। वहीं निजी पेड़ की कटान के आवेदक को वृक्ष पर अपना स्वामित्व सिद्ध करने के कागजात के साथ आवेदन और जमानत धनराशि के साथ एक पेड़ काटने पर दो पौधे रोपने और उसकी देखभाल करने का शपथ पत्र ही देना होता है। इन्हीं स्थितियों का फायदा उठा कर ग्रामीण क्षेत्रों में बिचौलिए सक्रिय हैं। कटान की अनुमति दिए जाने में विभागीय जांच परख और वास्तविक स्थिति जानने के प्रति संजीदगी न होने से हरियाली पर आरा चलने का क्रम टूट नहीं रहा है। -दयनीय है वनाच्छादन की स्थिति :

जिले में वनों की स्थिति पहले से ही दयनीय है। तकरीबन 2065 हेक्टेयर भूमि पर वन विस्तार है जो कुल क्षेत्रफल का मात्र 0.45 फीसद है। ऐसे में पूर्वाचल एक्सप्रेस वे के निर्माण और लखनऊ- वाराणसी तथा अयोध्या-प्रयागराज राजमार्गाें के चौड़ीकरण के चलते तकरीबन 40 हजार से अधिक पुराने पेड़ काटने पड़े हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे की जद में आए बल्दीराय क्षेत्र के फतेहपुर जंगल से ही एक साथ 26 हजार पेड़ काट दिए गए।

chat bot
आपका साथी