एनजीटी ने मानी रिपोर्ट तो चार राज्यों में बंद हो जाएंगे ईंट भट्ठे

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सोनांचल में कल-कारखानों की बहुलता का लाभ भले की पड़ोसी राज्यों

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Jan 2018 09:20 PM (IST) Updated:Sun, 28 Jan 2018 09:20 PM (IST)
एनजीटी ने मानी रिपोर्ट तो चार राज्यों में बंद हो जाएंगे ईंट भट्ठे
एनजीटी ने मानी रिपोर्ट तो चार राज्यों में बंद हो जाएंगे ईंट भट्ठे

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : सोनांचल में कल-कारखानों की बहुलता का लाभ भले की पड़ोसी राज्यों के जनपद के लोगों को नहीं मिल रहा है लेकिन अब इसकी दुश्वारियां जरूर झेलनी पड़ेगी। तीन दिन के सोनभद्र दौरे पर आई एनजीटी की टीम ने कहा है कि यहां प्रदूषण की स्थिति काफी भयावह है। ऐसे में परियोजना क्षेत्र से लेकर लगभग दो सौ किमी के दायरे में आने वाले इलाकों में ईंट के भट्ठों पर प्रतिबंध लगेगा यानी ईंट के भट्ठे नहीं संचालित होंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यदि अपनी टीम की रिपोर्ट को माना और इसे लागू कर दिया तो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व बिहार के कई जिले इससे प्रभावित हो सकते हैं।

¨सगरौली परिक्षेत्र यानी सोनभद्र व मध्य प्रदेश में संचालित कल-कारखानों के चलते यहां वायु, जल व पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति काफी भयावह हो गई है। इसे लेकर तमाम शिकायतों के बाद गत आठ से दस जनवरी तक डा. तपन चक्रवर्ती के नेतृत्व में एनजीटी की 11 सदस्यीय टीम परियोजना क्षेत्रों के दौरे पर आई थी। यह टीम तीन दिनों तक सोनभद्र व ¨सगरौली जिले में संचालित बिजली व कोल परियोजनाओं का दौरा की। जहां से होने वाले प्रदूषण व क्षेत्र की स्थिति को देखने के बाद टीम ने कहा कि यहां प्रदूषण की स्थिति काफी भयावह है। ऐसे में परियोजना क्षेत्र के दो सौ किमी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में लाल ईंट के भट्ठों का संचालन नहीं होना चाहिए। टीम का नेतृत्व कर रहे डा. तपन चक्रवर्ती ने कहा 11 सदस्यीय टीम तीन दिन तक परियोजना क्षेत्र के दौरे पर रही जो स्थिति दिखी वह काफी भयावह है। इसकी रिपोर्ट एनजीटी को सौंपी जाएगी।

परियोजनाओं को बनाया जाएगा केंद्र

एनजीटी टीम का कहना है कि जनपद में संचालित बिजली परियोजनाओं यानि पावर प्लांट को केंद्र बनाया जाएगा। इसके 200 किमी के दायरे में आने वाले क्षेत्रों में लाल ईंट का भट्ठा लगाने व संचालन पर प्रतिबंध लगाया जायेगा। ताकि चिमनियों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके।

कैसे होगी ईंट की पूर्ति

लाल ईंट के भट्ठों पर प्रतिबंध लगने के साथ ही परियोजनाओं से निकलने वाली राख से ईंट बनाने पर जोर दिया जाएगा। लाल ईंट की जगह इसी के ईंट का प्रयोग किया जायेगा। जबकि जानकारों का कहना है कि जितनी मात्रा में राख परियोजनाओं से निकलती है उसे पूर्णत: ईंट का निर्माण करके नहीं खपाया जा सकता। ईंट के निर्माण में ज्यादा से ज्यादा पांच या दस फीसद राख का ही उपयोग हो सकता है।

यहां स्थापित हैं परियोजनाएं

सोनभद्र जनपद में बिजली की परियोजनाएं ओबरा, अनपरा, शक्तिनगर व रिहंदनगर तथा मध्य प्रदेश में ¨वध्यनगर व सासन में बिजली की परियोजना स्थापित है। जिसको केंद्र मानने की एनजीटी की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कही है बात।

इन राज्यों के ये जिले होंगे प्रभावित

एनजीटी की 11 सदस्यीय टीम ने अपनी जांच में परियोजना क्षेत्र से दो सौ किमी के दायरे में ईंट भट्ठे के संचालन पर रोक की जो बात कही है, उसके दायरे में पांच राज्यों के 15 जनपद आएंगे। जिसमें उत्तर प्रदेश के छह, मध्य प्रदेश के तीन, छत्तीसगढ़ के एक, झारखंड के दो व बिहार के तीन जिले हैं।

उत्तर प्रदेश के जिले: सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली, मीरजापुर, भदोही व जौनपुर (आंशिक)।

मध्य प्रदेश के जिले: ¨सगरौली, सींधी, रीवां (आंशिक)।

छत्तीसगढ़ का जिला : अंबिकापुर (आंशिक)।

झारखंड के जिले: गढ़वा व पलामू।

बिहार के जिले : भभुआ, रोहतास व कैमूर।

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