बेटियों में रिया जगा रहीं सशक्तिकरण की अलख

मेरठ निवासी रिया जावला ने नोएडा से एमबीए किया था। 2011 में कांधला क्षेत्र के गांव में उनका विवाह हुआ। उसके बाद उन्होंने महिलाओं और छात्राओं के सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास शुरू किए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 10 Aug 2019 10:17 PM (IST) Updated:Sat, 10 Aug 2019 10:17 PM (IST)
बेटियों में रिया जगा रहीं सशक्तिकरण  की अलख
बेटियों में रिया जगा रहीं सशक्तिकरण की अलख

शामली, जेएनएन। मेरठ निवासी रिया जावला ने नोएडा से एमबीए किया था। 2011 में कांधला क्षेत्र के गांव हुरमजपुर निवासी युवक से उनकी शादी हुई। यहां आई तो देखा कि अनेक महिलाएं घूंघट में रहती हैं, अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं। काफी युवतियों को पढ़ने-लिखने की भी आजादी नहीं है। वे आगे पढ़ना चाहती हैं, पर उन्हें यह न पता नहीं होता है कि क्या करना है। बस इन्हीं सब सवालों के चलते रिया के जीवन में बदलाव आ गया?

2016 में अलख 'द ट्रू इंडियन' नाम से संस्था बनाई और इसके जरिये आधी आबादी को मजबूत करने का संकल्प लिया। रिया अपनी टीम के साथ स्कूल, कॉलेज में जाती हैं। उनका फोकस लड़कियों पर ही होता है। वह बताती हैं कि भविष्य को बेहतर करने के लिए क्या विषय और क्षेत्र चुनने चाहिए। इसके लिए गांव स्तर पर भी सेमिनार आयोजित किए जाते हैं और ये अभिभावकों के लिए भी होते हैं। हमारे समाज में युवतियों को कम आजादी है। पढ़ाना औपचारिकता भर है। सोच ये है कि शादी करनी है बस। अभिभावकों को बताते हैं कि ऊंची उड़ान कर लिए बेटियों को भी आजादी दी जाए। काफी अच्छे परिणाम आ रहे हैं, पर अभी इस दिशा में काफी काम करना है।

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रिया बताती हैं कि उनकी परवरिश मेरठ में हुई। शादी के बाद जब भी गांव में जाती हैं तो आस-पड़ोस से काफी लड़कियां आती हैं। बताती हैं कि अब वह ये पढ़ाई कर रही हैं और आगे क्या करना चाहिए। बताया कि करना तो वहीं चाहिए, जिसमें दिलचस्पी हो। बस आवश्यकता होती है खुद को प्रोत्साहित करने की और निर्णय लेने की।

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बेटियों को हथियार रखने की मिले अनुमति

अलख संस्था के बैनर तले एक मुहिम भी शुरू की गई थी। इसके तहत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया था कि बेटियों को एक छोटा सा हथियार रखने की अनुमति दी जाए। बढ़ते अपराध के मद्देनजर ये आवश्यक है।

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आर्थिक मदद का भी प्रयास

अलख संस्था की उपाध्यक्ष रिया ने बताया कि अपने साम‌र्थ्य के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बेटियों की हरसंभव मदद का प्रयास रहता है।

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