बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से 12 हजार प्रवासी नहीं बने संक्रमण का खतरा

लॉकडाउन लगा तो हजारों कदम अपने घरों की ओर चल पड़े। दिन देखा न रात भूख की परवाह की न प्यास की।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Apr 2020 11:39 PM (IST) Updated:Wed, 22 Apr 2020 06:05 AM (IST)
बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से 12 हजार प्रवासी नहीं बने संक्रमण का खतरा
बेहतर प्रतिरोधक क्षमता से 12 हजार प्रवासी नहीं बने संक्रमण का खतरा

जेएनएन, शाहजहांपुर : लॉकडाउन लगा तो हजारों कदम अपने घरों की ओर चल पड़े। दिन देखा न रात, भूख की परवाह की, न प्यास की। कोई साइकिल से चला तो किसी ने पैदल ही गांव तक की दूरी नाप दी। इनमें कई नौकरीपेशा थे तो कुछ अपना व्यवसाय करने वाले भी, लेकिन बड़ी संख्या मजदूरी करने वालों की थी। प्रशासन ने सभी की स्क्रीनिंग कराई। करीब 12 हजार प्रवासी यहां पहुंचे, जिनमें लगभग साढ़े नौ हजार प्रवासी मजदूर थे, लेकिन प्रतिरोधक क्षमता का ही कमाल था कि न सिर्फ ये सब स्वयं सुरक्षित मिले, बल्कि इनमें से कोई भी कोरोना संक्रमण का खतरा नहीं बना।

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मजदूर जितनी मेहनत करते हैं और जिस माहौल में रहते हैं उससे शरीर में रोगों से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज अधिक सक्रिय हो जाती हैं। इसलिए वे कम बीमार पड़ते हैं। विदेशियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। कई देशों में बीसीजी का टीका न लगना भी इसका कारण है। भारत में टीबी की बीमारी से बचाने के लिए यह बचपन में ही लगाया जाता है। जमात में बहुत ज्यादा लोग सीमित स्थान पर कई दिन तक रहते हैं। जमात में विदेश से भी लोग आए इसलिए जमाती संक्रमित ज्यादा हुए। जबकि मजदूर किसी एलीट क्लास के व्यक्ति के सीधे संपर्क में नहीं आए।

डा. रवि मोहन, चिकित्सक

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जो प्रवासी आए उनकी सूची बनवाई। क्योंकि कई लोग पैदल आए। प्रधान, पूर्व प्रधान, सेक्रेटरी व लेखपाल से उनके फोन नंबर लिए। सभी से सीधे बात की। जो व्यक्ति कोरोना प्रभावित क्षेत्रों से आए थे उनको अलग ग्रुप में रखा। तीन तरह की सूची बनाईं। जो संक्रमण रोकने में कारगर रहा।

इंद्र विक्रम सिंह, डीएम

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