सहारनपुर हिंसा : दंगा या गंदा सियासी हथकंडा!

By Edited By: Publish:Thu, 31 Jul 2014 10:59 PM (IST) Updated:Thu, 31 Jul 2014 10:59 PM (IST)
सहारनपुर हिंसा : दंगा या गंदा सियासी हथकंडा!

सहारनपुर : सहारनपुर जल रहा था और सूबे की अखिलेश सरकार सो रही थी। तीन लोगों की मौत और 34 के घायल होने के बाद सरकारी तंद्रा टूटी तो क‌र्फ्यू के साये में अब धरपकड़ और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई का सिलसिला शुरू हो गया है। कुतुबशेर थाना क्षेत्र के 32 हथियारों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।

साप्रदायिकता की राजनीति में डूबी इस जंग ने पिछले 22 साल से शांत शहर सहारनपुर को निशाना बना लिया। दंगे का मुख्य आरोपी मोहर्रम अली पप्पू समेत उसके गुर्गे समेत सात आरोपी गिरफ्तार हो चुके है, पर अब उनकी गिरफ्तारी को लेकर जो रंग दिया जा रहा है, उससे पुलिस प्रशासनिक अधिकारी के माथे पर पसीना आ रहा है। सत्तासीन पार्टी से जुड़े एक कद्दावर नेता आरोप लगा रहे है कि यह कार्रवाई एक वर्ग पर ही क्यों हो रही है? क्यों उनके मुकदमे नही लिखे जा रहे हैं? दूसरे वर्ग के लोगों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है? बहरहाल, पुलिस चिह्नित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी करने में जुटी है, वहीं दूसरी ओर शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा कि गया है कि अभी तक जिन 52 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, उनमें 27 मुस्लिम व 25 हिन्दू है। क‌र्फ्यू में जिन 48 लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनमें 19 ही मुस्लिम है जबकि 29 हिन्दू। बाकायदा निर्धारित प्रारूप पर पुलिस प्रशासन ने शासन को यह रिपोर्ट प्रेषित की है।

एडीजी डीएस चौहान, आइजी आलोक शर्मा, खेल सचिव भुवनेश कुमार, डीआइजी दीपक रतन व खुफिया विभाग ने दंगे की बाबत शासन को जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें गृह विभाग का मानना है कि 11 अफसरों की लापरवाही दंगे में साबित हुई है। नगर मजिस्ट्रेट कुंज बिहारी अग्रवाल ने सबसे बड़ी लापरवाही की है, जिनके द्वारा कोर्ट के आदेश के बाद भी गुरुद्वारे की जमीन पर निर्माण रोकने का आदेश दिया गया। बहरहाल, इस रिपोर्ट के आधार पर अभी तक किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई है। दंगे के छह दिन बाद इस मामले की जांच सहारनपुर के बजाय मेरठ मंडल के कमिश्नर भूपेन्द्र सिंह को सौंपी गयी है। सहारनपुर के मामले से हाइकामन इतना आहत है कि शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली डीएम, कप्तान, डीआइजी, आइजी व कमिश्नर की बैठक को निरस्त कर दिया गया।

इस दंगे के बाद सियासी दल अखिलेश सरकार की बर्खास्तगी की माग कर रहे हैं। दूसरी तरफ सपा हाईकमान के इशारे पर कुछ भाजपा नेताओं के विरुद्ध मुकदमे दर्ज करने की तैयारी हो रही है। हालांकि पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की है न ही कोई सपा नेता मुंह खोलने के लिए तैयार है। बहरहाल, सियासी दल दंगे भड़काने के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में जुटे हुए हैं। पुलिस की मानें तो मुख्य आरोपी गिरफ्तार हो चुका है पर जिन नेताओं ने इस दंगे की नींव रखी, उनके बारे में कोई भी अफसर मुंह खोलने के लिए तैयार नहीं है। बहरहाल, इसमें शक नहीं है कि शुरुआत में जो मामला दो पक्षों का था, वो जल्द ही सिख बनाम मुस्लिम और उसके बाद हिंदू-मुस्लिम झगड़े में बदल गया। उप्र में पिछले दिनों अलग-अलग जिलों में जिस तरह से साप्रदायिक हिंसा हो रही है उसकी वजह से शक जताया जा रहा है कि उप्र मिशन 2017 व सहारनपुर समेत 12 विस सीटों पर उप चुनाव को ध्यान में रखकर वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशें हो रही हैं। सवाल ये है कि क्या सहारनपुर में हुए दंगे के पीछे भी यही साजिश रची गई और अगर ये साजिश है तो फायदा किसे होगा?

फिलहाल सहारनपुर जनपद में सपा कोटे में सात विस सीट में मात्र एक सीट है। जाहिर है कि करीब ढाई साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में सहारनपुर के मतदाता ने सोच-समझ कर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव किया और सभी पार्टियों में वोट बंट गया लेकिन इस दंगे के बाद ध्रुवीकरण सियासी हालात बदल सकता है।

chat bot
आपका साथी