हालात ने बहुत छकाया, हौसलों ने आगे बढ़ाया

रायबरेली : हालात कैसे हों , कभी हार नहीं मानी। लक्ष्य सिर्फ एक शिखर पर पहुंचने का। इसके

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Sep 2018 01:09 AM (IST) Updated:Thu, 13 Sep 2018 01:09 AM (IST)
हालात ने बहुत छकाया, हौसलों ने आगे बढ़ाया
हालात ने बहुत छकाया, हौसलों ने आगे बढ़ाया

रायबरेली : हालात कैसे हों , कभी हार नहीं मानी। लक्ष्य सिर्फ एक शिखर पर पहुंचने का। इसके आड़े न कभी संसाधन आए, न ही कोई बीमारी। रियो ओलंपिक में बीमारी की चपेट में आई। ¨कतु प्रतिभाग किया। पर मायूसी हाथ लगी। इसके बावजूद हार नहीं मानी। करीब एक साल के कठिन तैयारी के बाद एशियन गेम्स में कमी को पूरा करते हुए देश की झोली में रजत दे दिया।

शहर के शिवाजी नगर की रहने वाली एथलीट सुधा ¨सह आज जिले की नहीं बल्कि हर उस खिलाड़ी की आदर्श बन गई हैं, जो खेल में आगे बढ़ने के लिए दिनरात मेहनत करता है। सुधा के करीब 15 साल के कैरियर में तमाम कठिनाइयां उठाई। मध्यम वर्गीय परिवार से नाता होने के कारण शुरुआती दौर संघर्ष भरा रहा। जिले में स्टेडियम घर से करीब पांच किमी दूर है। ऐसे में वह मोहल्ले के गलियों में दौड़ी। राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक के बाद एक कई सफलताएं हासिल की। रियो ओलंपिक में मौका मिला, तो हर किसी को उम्मीद थी कि पदक जरूर मिलेगा, लेकिन यहां पर बीमार हो गई। कमजोरी के बाद भी वह ट्रैक पर दौड़ी, हालांकि पदक नहीं मिला। इसके बाद काफी समय तक इलाज चला। लक्ष्य को हासिल करने के लिए दोबारा ट्रैक पर उतर गई। एशियन गेम्स में रजत पदक दिलाकर जिले का गौरव बढ़ाया। हर उनके इस सफलता हर किसी को नाज है।

कई महीनों तक घर नहीं होती वापसी

सुधा का खेल के प्रति समर्पण की भावना का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह कई-कई महीने घर से दूर रहतीं हैं। जकार्ता जाने से पहले भूटान में कठिन अभ्यास किया। उनके छोटे भाई प्रवेश नारायण ¨सह का कहना है कि दीदी का खेल से गहरा लगाव है। वह घर आती भी है तो महज दो-चार दिन के लिए।

बेटी से मिलने की चाहत, नहीं किया इंतजार

सुधा की सफलता पर पूरा परिवार गर्वांन्वित है। बेटी के आने की सूचना मिली, तो किसी ने एक पल गंवाना उचित नहीं समझा। परिवार के सभी लोग सुबह ही लखनऊ चले गए। वहीं से सुधा को लेकर घर आएंगे। इस दौरान बेटी के स्वागत के लिए घर को सजाया जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियां

भोपाल और कोच्चि में 2008 में सीनियर फेडरेशन कप, ओपेन नेशनल में स्वर्ण पदक।

चीन में 2009 में एशियन ट्रैक एंड फील्ड में रजत पदक।

ग्वांगझू में 2010 में एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक।

जापान में 2011 में एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक

पूने में 2013 एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक

भुवनेश्वर में 2017 में भुवनेश्वर एशियन एथलेटिक्स चैंपियन में स्वर्ण प्रदक

जकार्ता 2018 में एशियन गेम्स में रजत पदक।

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