'विचार और भावनाओं की भाषा हिंदी'

By Edited By: Publish:Tue, 16 Sep 2014 05:00 PM (IST) Updated:Tue, 16 Sep 2014 05:00 PM (IST)
'विचार और भावनाओं की भाषा हिंदी'

रायबरेली, जागरण संवाददाता : हिंदी देश वासियों के विचार व भावनाओं की भाषा है। यह बात मंगलवार को आईटीआई लिमिटेड में राजभाषा हिंदी सप्ताह का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि इकाई प्रमुख के अलसेगन अपर महाप्रबंधक आरबी ने व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि आज प्रौद्योगिकी अर्थ व्यवस्था आधारित युग में राजभाषा हिंदी की उपयोगिता और अधिक बढ़ गयी है। हिंदी की अद्भुत सम्प्रेषण शक्ति एवं विस्तृत होते दायरे के कारण वाणिज्य एवं व्यापार क्षेत्र में भी इसकी स्वीकार्यता बढ़ती जा रही है। हिंदी आज व्यवहार और कामकाज ही नही बल्कि व्यवसाय की भाषा बन गयी है। उन्होंने कार्यालय के कामकाज में हिंदी को बढ़ावा देने की अपील की। मुख्य वक्ता एफजी कालेज की डा.चंपा श्रीवास्तव ने कहा कि हिंदी का प्रभाव व्यापक स्तर पर हुआ है। हिंदी रोजगार परक भाषा के रूप में विकसित की जानी चाहिए। हिंदी के विविध रुपों को रेखाकित करते हुए समय, काल, परिस्थितियों के अनुरूप उसके बहुआयामी विकास पर अपने सारगर्भित विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दी का भविष्य उज्जवल है। आईटीआई मजदूर संघ उपाध्यक्ष राजीव दीक्षित और महामंत्री रामेश्वर पासी ने राजभाषा हिंदी को बढ़ावा देने की दिशा में अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए। कार्यक्रम संयोजक उप महा प्रबंधक जनसंपर्क एके श्रीवास्तव ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन राज भाषा अधिकारी जेजेआर चक्रवर्ती ने किया। कार्यक्रम में एके अग्रवाल, जीके जैन, आरके सिंह, मृदुला श्रीवास्तव आदि रहे।

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