दो तहसीलदारों, थानाध्यक्षों के खिलाफ जांच के आदेश

जागरण संवाददाता प्रतापगढ़ छेड़छाड़ और गैर इरादतन हत्या के मामलों में आरोपितों के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Mar 2019 10:49 PM (IST) Updated:Wed, 13 Mar 2019 10:49 PM (IST)
दो तहसीलदारों, थानाध्यक्षों के खिलाफ जांच के आदेश
दो तहसीलदारों, थानाध्यक्षों के खिलाफ जांच के आदेश

जागरण संवाददाता, प्रतापगढ़ : छेड़छाड़ और गैर इरादतन हत्या के मामलों में आरोपितों के बेल बांड का सत्यापन करने में पुलिस की कार्यशैली पर कोर्ट ने संदेह जताया है। कोर्ट ने इस मामले में दो तहसीलदारों, दो थानाध्यक्षों व संबंधित लिपिकों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।

पहला मामला जेठवारा थाना का है। इसमें गैर इरादतन हत्या के दो आरोपितों की बेल 12 मार्च को एडीजे प्रथम की कोर्ट से मंजूर हुई और सत्यापन के लिए तहसीलदार सदर व एसओ मानधाता को भेजी गई। इसी तरह दूसरा मामला थाना रानीगंज का है, जहां छेड़छाड़ के एक आरोपित की बेल सत्यापन के लिए भेजी गई। आमतौर पर मांगे जाने वाले रिपोर्ट में कई दिन लगाने वाली पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी ने इन मामलों में उसी दिन यानि 12 मार्च को सत्यापन करके रिपोर्ट दे दी। जब यह रिपोर्ट बुधवार को कोर्ट में पेश हुई तो एडीजे प्रथम आरएन पांडेय ने रिपोर्ट को देखते ही उस पर संदेह जताया। कोर्ट को लगा कि आखिर यह सब कैसे और क्यों हो गया। कोर्ट ने पुलिस की इस तेजी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कई बार रिमाइंडर देने के बाद भी पुलिस व तहसील से कोई भी रिपोर्ट 10-15 दिन तक ही नहीं आती। इसके लिए डीएम-एसपी को भी पत्र भेजना पड़ता है। ऐसे में आखिर इन आरोपितों की रिपोर्ट उसी दिन कैसे आ गई। इससे प्रारंभिक रूप से यह लगता है कि इसमें संबंधित अधिकारियों व आरोपितों की मिलीभगत है। मिलकर फर्जी तरीके से फर्जी रिपोर्ट दी गई है। एडीजे प्रथम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम व एसपी को आदेश दिया है। कहा है कि तहसीलदार रानीगंज, सदर व संबंधित थानाध्यक्ष तथा उनके लिपिकों के विरूद्ध जांच करें तथा रिपोर्ट अतिशीघ्र रिपोर्ट दें। तथा न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि संबंधित लिपिक अपना स्पष्टीकरण दो दिन के अंदर प्रस्तुत करें कि उन्हें उक्त मामले में जमानतदारों के सत्यापन के लिए कागजात कब प्राप्त कराए गए थे और किसके द्वारा। क्यों न उनके विरुद्ध प्रस्तुत मामले में मिलीभगत करने व फर्जी अभिलेख तैयार करने में सहयोग करने, कर्तव्य में लापरवाही बरतने के संबंध में कार्रवाई की जाए।

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