मंजिल पाने के लिए बदल दिया अपना व्यवसाय

पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। लॉकडाउन होने पर तमाम छोटे व्यापारियों का व्यापार प्रभावित हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 May 2020 10:26 PM (IST) Updated:Sat, 30 May 2020 06:04 AM (IST)
मंजिल पाने के लिए बदल दिया अपना व्यवसाय
मंजिल पाने के लिए बदल दिया अपना व्यवसाय

संवाद सूत्र, पट्टी : पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है, मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। लॉकडाउन होने पर तमाम छोटे व्यापारियों का व्यापार प्रभावित हुआ। कुछ व्यापारी ऐसे भी रहे, जिन्होंने अपनी मंजिल को पाने के लिए अपने व्यापार का ट्रेंड बदल दिया।

कोरोना संक्रमण के कारण सबसे अधिक नुकसान शादी विवाह के कार्यक्रम में डीजे बैंड, हवाईदार और भोजन बनाने वालों का हुआ। ऐसे में घर का खर्च चलाने के लिए व्यापार की दिशा ही बदलनी शुरू कर दी। नगर के मेन रोड पर रहने वाले पटाखा कारोबारी हवाईदार का परिवार चार पीढ़ी से पटाखा का व्यापार कर रहा है, लेकिन इस बार सहालग सीजन में परिवार के सदस्यों ने सब्जी मार्केट में सब्जी की दुकान लगानी शुरू कर दी। कुछ ने टॉफी बिस्कुट बेचना शुरू कर दिया। इसी परिवार के मो. शफीक उर्फ बुद्धू भी ट्राफी, बिस्कुट बेचने लगे हैं। इसी तरह सूरज हवाईदार पटाखे की जगह सब्जी की दुकान लगाना शुरू कर दिए हैं। रायपुर के निवासी जावेद अहमद इदरीशी जो प्रतिवर्ष मार्च में सूरत (गुजरात) जाकर आम के बाग खरीदकर वहां व्यापार करते थे। इस बार सूरत नहीं जा पाए। घर पर रहकर ही अपने सभी भाइयों के साथ ई-रिक्शा की हैंडल पकड़ ली।

इसी क्रम में पूरेदेवजानी निवासी अनुराग तिवारी मुंबई में एक बिल्डर के पर्सनल असिस्टेंट थे। अब मुंबई न जाने का फैसला करते हुए गांव में ही किराने का व्यवसाय शुरू कर दिये हैं। इसी तरह पूरेदेवजानी निवासी शैलेंद्र तिवारी मुंबई में रहकर एक जैन होटल में स्टोर मैनेजर का काम करते थे। 29 जनवरी को दो माह की छुट्टी लेकर घर आए और लाकडाउन के चलते वापस नहीं जा सके। अब वह भी मुंबई नहीं जाना चाहते। घर का खर्च चलाने के लिए खेती का जो काम बटाई पर कराते थे, स्वयं करने लगे हैं। इसके साथ ही एक गोशाला खोलकर गाय पालकर दुग्ध का भी व्यवसाय शुरू कर दिए हैं।

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