Pilibhit: पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर अस्‍पताल में फांक रहे धूल, सांसद वरुण गांधी की डांट भी बेअसर

शासन तक मामला पहुंचने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी व सीएमओ की कड़ी फटकार पड़ी तो वेंटिलेटर बेडों के साथ लगाकर सुसज्जित कर दिए गए। हालांकि अभी तक 22 वेंटिलेटर शोपीस बने पड़े हैं। इनका सदुपयोग रोगियों के इलाज में नहीं हो रहा।

By Devendrda DevaEdited By: Publish:Mon, 05 Dec 2022 04:16 PM (IST) Updated:Mon, 05 Dec 2022 04:16 PM (IST)
Pilibhit: पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर अस्‍पताल में फांक रहे धूल, सांसद वरुण गांधी की डांट भी बेअसर
Pilibhit: पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर अस्‍पताल में फांक रहे धूल

पीलीभीत, जागरण संवाददाता : कोरोना काल के दौरान रोगियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री केयर फंड से वेंटिलेटर उपलब्ध कराए गए थे। कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग को 22 वेंटिलेटर प्राप्त हुए लेकिन आज तक एक भी वेंटिलेटर रोगियों के काम नहीं आ सका है। वेंटिलेटर की सबसे अधिक जरूरत कोरोना की दूसरी लहर के दौरान पड़ी थी, लेकिन उस दौरान एलटू कोविड अस्पताल में वेंटिलेटर धूल फांकते रहे।

शासन तक मामला पहुंचने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी व सीएमओ की कड़ी फटकार पड़ी तो वेंटिलेटर बेडों के साथ लगाकर सुसज्जित कर दिए गए। हालांकि अभी तक 22 वेंटिलेटर शोपीस बने पड़े हैं। इनका सदुपयोग रोगियों के इलाज में नहीं हो रहा। वेंटिलेटर व आईसीयू की सेवाएं लेने के लिए रोगियों को निजी अस्पतालों या अन्य बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है जिसमें गरीब आदमी को काफी खर्च वहन करना पड़ता है।

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सांसद की डांट का भी अधिकारियों पर नहीं कोई असर

दैनिक जागरण ने जिला अस्पताल में रोगियों को आईसीयू व वेंटिलेटर की सुविधा न मिल पाने का मुद्दा प्रमुखता से प्रकाशित किया था। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर का संज्ञान लेकर सांसद वरुण गांधी ने बीते 7 सितंबर को जिलाधिकारी को पत्र भेजकर जिला अस्पताल में हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) व इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) का संचालन शुरू करने के आदेश दिए थे।

सांसद द्वारा भेजे गए पत्र में कहा गया जिला अस्पताल में ट्रामा सेंटर व आईसीयू वार्ड का संचालन न होने का मामला संज्ञान में आया है। बढ़ती स्वास्थ्य सुविधाओं के बीच जिला अस्पताल जिला अस्पताल में आईसीयू बेड न होने से रोगियों को निजी अस्पतालों व बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है जिससे मरीज का धन व समय अधिक खर्च होते हैं। कई बार समय पर सुविधा न मिलने से मरीजों को जान गंवानी पड़ती है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई सुविधाओं का लाभ गरीब व जरूरतमंद लोगों को न मिल पाना गंभीर प्रकरण है। सांसद वरुण गांधी ने उपलब्ध वेंटिलेटरोंं को रोगियों के कल्याण के लिए व्यवस्थित करने के आदेश दिए थे।

स्वास्थ्य विभाग में मौजूद छह निश्चेतक, स्टाफ भी प्रशिक्षित

कोरोना काल के दौरान स्वास्थ्य विभाग में तीन वेंटिलेटर आपरेटरों की भर्ती की गई थी। इसके अलावा जिला महिला अस्पताल के निश्चेतक डा.राजेश को मास्टर ट्रेनर बनाकर जिला अस्पताल की स्टाफ नर्सों को वेंटिलेटर संचालित करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। जनपद में आईसीयू के संचालन के लिए आवश्यक स्टाफ भी मौजूद है। सीएमओ डा. आलोक कुमार व एसीएमओ डा. हरिदत्त नेमी स्वयं निश्चेतक हैं।

इसके अलावा जिला संयुक्त अस्पताल में डा. राधेश्याम गंगवार, डा. राजेश, डा. अश्वनी गुप्ता व डा. केपीएस चौहान निश्चेतक के पद पर कार्यरत हैं। सर्जन के रूप में डा. आरएस यादव, डा. नितिन मलिक, फिजीशियन डा. आरके सागर, चेस्ट फिजीशियन डा. पारुल मित्तल, ईएनटी सर्जन डा. प्रवीण शर्मा मौजूद हैं। नेक इच्छाशक्ति के साथ जिला अस्पताल इमरजेंसी में ही पांच बेड का आईसीयू वार्ड संचालित किया जा सकता है।

वेंटिलेटर के अभाव में हुईं थी सैकड़ों मौतें, अब भी होते रेफर

जनपद के एलटू कोविड अस्पताल में वेंटिलेटर का संचालन न होने से 217 मरीजों ने जान गवाई थी। दूसरी लहर के दौरान एलटू कोविड अस्पताल के वेंटिलेटर संचालित नहीं किए गए। मरीजों को बरेली रेफर किया जाता रहा। बरेली व अन्य बड़े शहरों में वेंटिलेटर बेड खाली न होने से मरीजों ने दम तोड़ दिया। अब भी रोजाना किसी न किसी मरीज को वेंटीलेटर के अभाव में रेफर किया जाता है। गरीब लोग निजी अस्पतालों व बड़े शहरों में वेंटिलेटर बेड का खर्च देने में असमर्थ होते हैं लेकिन जिम्मेदारों को जिला अस्पताल में ही वेंटीलेटर युक्त आईसीयू वार्ड संचालित करने की सुध नहीं आती।

दो वर्षों से अधिक समय बीता, एक भी मरीज को नहीं मिला लाभ

शासन द्वारा पीएम केयर फंड से बीते जुलाई 2020 में वेंटिलेटर मुहैया कराए गए थे। दूसरी लहर से पूर्व जनपद में वेंटिलेटर उपलब्ध कराकर रोगियों के लिए व्यवस्थाएं चाक-चौबंद कर दी गईं थीं। स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण रोगियों को सुविधाएं नहीं मिली। जनपद में वेंटिलेटर उपलब्ध हुए दो वर्ष से अधिक समय बीत चुका है लेकिन इसका लाभ पाने वाले मरीजों की संख्या शून्य है। ऐसे में आला अधिकारियों की मंशा व कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शासन के अधिकारी भी रोगियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के सत्यापन को लेकर सजग नहीं हैं।

क्‍या बोले सीएमओ

सीएमओ डॉक्‍टर आलोक कुमार ने कहा क‍ि सांसद महोदय के पत्र का संज्ञान लेकर जिला अस्पताल के सीएमएस को आइसीयू वार्ड व ट्रामा सेंटर संचालित करने के आदेश दिए थे। अभी तक आईसीयू वार्ड संचालित न होने का प्रकरण संज्ञान में आया है। इस पर सीएमएस से रिपोर्ट मांगी जाएगी। रोगियों की सुविधा के लिए जल्द से जल्द वेंटिलेटर युक्त आईसीयू वार्ड का संचालन शुरू कराया जाएगा।

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