मुन्ने और हनीफ के लिए राम व रहीम एक

अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण को अभियान के तौर पर लोग समर्पण राशि दिल खोलकर दे रहे हैं। घाटमपुर गांव में कुछ मुस्लिम समाज के लोग भी आगे आए हैं जिन्होंने इस नेक कार्य के लिए सहयोग दिया है। इससे पहले भी वह धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेते रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 12:09 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 12:09 AM (IST)
मुन्ने और हनीफ के लिए राम व रहीम एक
मुन्ने और हनीफ के लिए राम व रहीम एक

पीलीभीत, जेएनएन : अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण को अभियान के तौर पर लोग समर्पण राशि दिल खोलकर दे रहे हैं। घाटमपुर गांव में कुछ मुस्लिम समाज के लोग भी आगे आए हैं, जिन्होंने इस नेक कार्य के लिए सहयोग दिया है। इससे पहले भी वह धार्मिक कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर भाग लेते रहे हैं।

अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण को लेकर आरएसएस और विश्व हिदू परिषद व भाजपा कार्यकर्ताओं की टोलियां गांवों में समर्पण राशि एकत्र कर रही हैं। लोग भी हर तरह से सहयोग कर रहे हैं। नगर और गांवों टोलियां लगी हैं। गांव घाटमपुर गांव के मुस्लिम समाज के लोग सभी धर्मों को एक नजर से देखते हैं। कोई भी धर्म अलग नहीं है। बुजुर्गों से लेकर अभी तक उनके द्वारा भी एक दूसरे के धर्म कर्म में परस्पर सहयोग करने की मिसाल है। वह ऐसे लोगों के लिए नजीर हैं जो कभी एक दूसरे के धर्म कर्मों में सहयोग से पीछे हटते हैं। कुछ दिन पहले जब भाजपा की टोली उनके पास पहुंची तो उन्होंने बेहद खुशी से समर्पण राशि दी। वह बताते हैं कि राम और रहीम एक हैं। सभी धर्मों के धर्म कर्म के कामों में हमेशा सहयोग में आगे आते हैं।

सभी धर्म बराबर हैं। समर्पण राशि देकर अच्छा लगा। इससे पहले भी वह मंदिर और गांव में होने वाले मेलों के लिए समर्पण राशि दे चुके हैं।

हनीफ सिद्दीकी

बुजुर्गों से ही एक दूसरे लोगों के धर्म कर्म के कामों में सहयोग करने की सीख मिली है। राम और रहीम एक हैं। एक गांव में मंदिर निर्माण को समर्पण राशि पहले भी दी थी।

मुन्ने अली

गांव से कई मुस्लिम समाज के लोगों ने समर्पण राशि दी है। इस सहयोग से पहले भी इन लोगों ने धार्मिक कार्यक्रमों बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था।

लक्ष्मण वर्मा

ग्रामीण क्षेत्र में समर्पण निधि अभियान को गति मिल रही है। घाटमपुर में मुस्लिम समाज के लोगों ने इसमें परस्पर सहयोग किया। यह बेहद अच्छा लगा।

संजीव त्रिवेदी

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