55 लाख रुपये देखते ही ड्राइवर की नीयत हो गई खराब, कारोबारी को चूना लगाने के लिए रची खौफनाक साजिश

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर सेक्टर 143 के समीप चालक को बंधक बनाकर 55 लाख की लूट की सूचना मंगलवार रात पुलिस को दी गई। जांच में पता चला कि रकम लेकर जा रहे कारोबारी के चालक ने ही भाई व उसके दोस्त के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 06:09 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 06:09 PM (IST)
55 लाख रुपये देखते ही ड्राइवर की नीयत हो गई खराब, कारोबारी को चूना लगाने के लिए रची खौफनाक साजिश
कारोबारी के चालक ने साथियों संग मिलकर की 55 लाख की लूट, तीन गिरफ्तार

ग्रेटर नोएडा [प्रवीण विक्रम सिंह]। नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे पर सेक्टर 143 के समीप चालक को बंधक बनाकर 55 लाख की लूट की सूचना मंगलवार रात पुलिस को दी गई। सूचना मिलने की पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। मौके पर अपर पुलिस आयुक्त लव कुमार सहित कई अन्य अधिकारी पहुंच गए। घटना के संबंध में छानबीन शुरू हुई महज एक घंटे के अंदर मामला पलट गया। जांच में पता चला कि रकम लेकर जा रहे कारोबारी के चालक ने ही भाई व उसके दोस्त के साथ मिलकर लूट की घटना को अंजाम दिया। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लूटे गए 55 लाख रुपये बरामद कर लिए है।

डीसीपी सेंट्रल नोएडा हरीश चंदर ने बताया कि वृंदा सिटी सोसायटी में रहने वाले विष्णु गुप्ता का होलोग्राम बनाने का कारोबार है। कारोबार के संबंध में उन्होंने मंगलवार रात चालक राजेश को 55 लाख रुपये देकर ग्रेटर नोएडा से दिल्ली भेजा। चालक ने नोएडा 143 सेक्टर के समीप पहुंच कर भाई अमित व दोस्त रकम उर्फ राकी को 55 लाख रुपये अपनी मर्जी से दे दिए। खुद के हाथ पैर बांध लिए और पुलिस को सूचना दे दी कि ईको स्पोर्टस कार सवार बदमाश आए और रकम लूट ले गए। पुलिस ने सीसीटीवी खंगाला तो कार आती हुई एक बदमाश द्वारा रकम ले जाना भी दिखाई दिया।

जांच में पता चला कि जो व्यक्ति रकम ले गया है वह उसका दोस्त राकी है। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो चालक ने ही पूरी कहानी बयां कर दी। पुलिस ने तीन आरोपित चालक राजेश, उसके भाई अमित व दोस्त राकी को गिरफ्तार किया है। तीनों दनकौर के अस्तौली गांव के रहने वाले है। आरोपितों के कब्जे से लूट के 55 लाख रुपये, ईको कार, तमंचा, दो चाकू व फर्जी आधार कार्ड बरामद किया गया है। अपर पुलिस आयुक्त लव कुमार ने टीम को 50 हजार का पुरस्कार दिया है। एडिशनल डीसीपी अंकुर अग्रवाल व एसीपी पीपी सिंह की भूमिका अहम रही।

ऐसे हुआ घटना का पर्दाफाश

पुलिस की जांच में पता चला कि चालक ने लूट की सूचना अपने मालिक यानी कारोबारी से पहले भाई को दी। वही से पुलिस को शक हुआ। भाई का इतिहास खंगाला तो पता चला कि वह राकी से संपर्क में था। राकी को पकड़ते ही पुलिस को लूट की रकम मिल गई।

कर्ज चुकाने के लिए की लूट

राजेश ने गांव में कुछ लोगों से कर्ज ले रखा है। कर्ज चुकाने के लिए ही उसने लूट की साजिश रच डाली। पूर्व में वर्ष 2016 में भी वह कारोबारी के यहां चालक रह चुका था। राजेश का भाई अमित कारोबारी के घर पर दूध देता है। इस वजह से पीड़ित को उस पर विश्वास था।

पीड़ित कारोबारी विष्णु गुप्ता ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में मेरे साथ मधुर व्यवहार किया। अभी तक जो मैने फिल्मों में देखा था कि कैसे लूट की रकम तुरंत मिल जाती है यह मेरे साथ सत्य साबित हुई है।

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