जैविक खेती कर वीरेंद्र बने लोगों के लिए मिसाल Rampur News

इस खेती के लिए उन्हें कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर की ओर से भी सम्मानित किया गया। उनके खेतों पर कृषि वैज्ञानिक और अधिकारी भी खेती के तरीके को जानने आते हैं।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 05:25 PM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 05:25 PM (IST)
जैविक खेती कर वीरेंद्र बने लोगों के लिए मिसाल  Rampur News
जैविक खेती कर वीरेंद्र बने लोगों के लिए मिसाल Rampur News

रामपुर (मुस्लेमीन)। गांव बेनजीर के सरदार वीरेंद्र सिंह जैविक खेती कर दूसरे के लिए मिसाल बन गए हैं। बड़े-बड़े अफसर उनके खेतों पर जाकर विधि जान रहे हैं। मुरादाबाद मंडल के दौरे पर आईं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उनके खेत पर गई थीं। विधि को जानकार बोलीं-बहुत अच्छा कर रहे हैं। वीरेंद्र सिंह जैविक खेती के लिए केंचुए पालने के साथ ही पशुओं के मल-मूत्र से भी जमीन की ताकत बढ़ा रहे हैं। 

ऐसे तैयार कर रहे खाद

रामपुर मुख्यालय से दस किमी दूर जौहर विवि रोड पर स्थित बेनजीर गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह ने आधा एकड़ में क्यारी बना रखी हैं। इसमें गोबर की खाद डालते हैं और फिर उसमें केंचुए छोड़ देते हैं। डेढ़ माह में खाद तैयार हो जाती है। वह ढाई सौ बीघे में धान, गेहूं, मैंथा, मटर व मक्का की जैविक खेती करते हैं। इसमें यूरिया का एक दाना भी नहीं डालते। वीरेंद्र बताते हैं कि उनके खेंतों में 18 क्विंटल प्रति एकड़ गेहूं पैदा होता है, जबकि यूरिया का इस्तेमाल करने से 20 क्विंटल तक पैदावार होती है। इसका सुखद पहलू यह है कि यूरिया से तैयार गेहूं दो हजार रुपये क्विंटल बिकता है तो हमारा गेहं तीन हजार रुपये क्विंटल आसानी से बिक जाता है।

मल मूत्र का भी प्रयोग

जिले के प्रगतिशील किसानों में शामिल वीरेंद्र सिंह के फार्म हाउस पर डेयरी भी है, जिसमें 25 पशु हैं। इसके पास ही एक एकड़ में तालाब बना रखा है। डेयरी से तालाब तक एक नाली बनी है। इसी नाली के जरिये पशुओं का मल-मूत्र तालाब में जाता है और पानी में मिल जाता है। तालाब के इसी पानी से वह खेतों की सिंचाई करते हैं। इस तालाब में बारिश का पानी भी जमा होता है।

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