मुरादाबाद में धान खरीद में सवा दो करोड़ रुपये का घोटाला, अपने ही बुने जाल में उलझ गए आरोप‍ित

राजू सिंह के अतिरिक्त किसी ने भी जांच टीम के सामने बयान नहीं दिया। बगैर अभिलेख जमा कराए सभी आरोपित भाग निकले। दोषी मिले क्रय केंद्र प्रभारी व राईस मिलर्स के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए पत्र एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा गया।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Thu, 11 Mar 2021 12:12 PM (IST) Updated:Thu, 11 Mar 2021 12:12 PM (IST)
मुरादाबाद में धान खरीद में सवा दो करोड़ रुपये का घोटाला, अपने ही बुने जाल में उलझ गए आरोप‍ित
एक ही नंबर की गाड़ी पर एक मिनट में कई बार लदान से पकड़ में आया घोटाला।

मुरादाबाद, जेएनएन। धान खरीद में हुआ घोटाला भी बिहार के चारा घोटाले की तरह ही पकड़ में आया। पहले तो सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) की आनलाइन फीडिंग में खेल किया गया। यहां तक तक घोटालेबाज बच जाते पर एक ही नंबर के ट्रक का एक मिनट के अंदर कई बार लदान चालान काटने की गलती उन्हें ले डूबी। जब जांच शुरू हुई तो एक-एक कर सभी घोटालेबाज अपने ही बुने जाल में फंसते चले गए। सभी विरोधाभासी बयानों से पूरा मामला साफ हो गया।

मुरादाबाद में हुई धान खरीद को लेकर शुरुआत से ही सवाल उठने लगे थे। दूसरे प्रदेशों में उगाया जाने वाला धान मुरादाबाद में मिलने के बाद से अधिकारी भी सकते में थे। इसकी जांच कराई गई। धान क्रय केंद्र से राइस मिलों को भेज गए धान की जांच के ल‍िए सम्भागीय खाद्य नियंत्रक ने तत्काल सम्भागीय खाद्य विपणन अधिकारी की अध्यक्षता में एक जांच टीम का गठन किया। जांच टीम सबसे पहले कृष्णा इंटरप्राइजेज पर पहुंची। टीम में शामिल एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक लखनऊ में हाेने की जानकारी देकर जांच में शामिल नहीं हुए। उनके बगैर टीम के शेष तीन सदस्यों ने कृष्णा इंटरप्राइजेज का भौतिक सत्यापन किया। मिल पर महज 7.4 टन सरकारी चावल मिला। मिल के पार्टनर नरेश सिंह ने टीम को बताया कि एसएफसी क्रय केंद्र डिलारी से आनलाइन 952.74 टन धान दर्ज है, जबकि भौतिक रूप से 725.26 धान मिल को मिला ही नहीं। मिल की आइडी हैककर पूर्ण धान की प्राप्ति कर ली गई। इससे संबंधित शिकायती पत्र एसएसपी मुरादाबाद को भी दिया गया। मिलर्स से प्राप्त धान के आनलाइन चालान से पता चला कि केंद्र प्रभारी के लाग इन से कुछ मिनट के अंतराल पर एक ही नंबर की गाड़ी के एक से अधिक चालान काटे गए हैं। ऐसे में डिलारी क्रय केंद्र के प्रभारी की भूमिका संदिग्ध मिली। तब टीम ने डिलारी क्रय केंद्र के प्रभारी का पक्ष जानना चाहा। तब धान क्रयकेंद्र पर ताला जड़कर वहां तैनात कर्मचारी फरार हो गए। मोबाइल फोन पर संपर्क करने के बाद भी केंद्र प्रभारी जांच टीम के सामने पेश नहीं हुए। इसके बाद टीम महादेव राइस मिल ठाकुरद्वारा पहुंची। वहां मुनीम राजू सिंह मिला। मौके पर महज 0.5 टन टूटा चावल मिला। मिल का कोई अभिलेख जांच टीम को नहीं मिला। नौ मार्च को मिल की पार्टनर किरन कुमारी सम्भागीय खाद्य नियंत्रक कार्यालय पहुंचींं। उन्होंने बताया कि डिलारी क्रय केंद्र से उन्हें 273.84 मी. टन धान प्राप्त हुआ। जबकि, केंद्र प्रभारी ने आनलाइन 743.44 मी. टन धान मिल को देने का रिकार्ड मेंटेन किया है। जांच में पता चला कि 469.60 टन धान मिल को मिला ही नहीं। फर्जी तरीके से मिल की आइडी हैक कर धान प्राप्त करने का डाटा तैयार किया गया। किरन कुमारी ने एसएफसी डिलारी के केंद्र प्रभारी व मिल कर्मी विपिन वर्मा, पर साठगांठ का आरोप लगाया। तब जांच टीम ने डिलारी के क्रय केंद्र प्रभारी को सभी अभिलेखों के साथ नौ मार्च को सुबह दस बजे तक सम्भागीय खाद्य नियंत्रक कार्यालय में पेश होने को कहा गया। तय अवधि से एक घंटे बाद क्रय केंद्र प्रभारी रेखा सिंह अपने पति शैलेंद्र सिंह, केंद्र पर निजी कर्मी के रूप में कार्यरत राजू सिंह व महादेव राईस मिल के पार्टनर सुमेर कौशिक के साथ सम्भागीय खाद्य नियंत्रक कार्यालय में पेश हुईं। राजू सिंह के अतिरिक्त किसी ने भी जांच टीम के सामने बयान नहीं दिया। बगैर अभिलेख जमा कराए सभी आरोपित मौके से भाग निकले। जांच में दोषी मिले क्रय केंद्र प्रभारी व राईस मिलर्स के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुए पत्र एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा गया। कार्रवाई की बजाय उन्हाेंने मौन साध लिया। सरकारी धन के बंदरबांट में एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक की भूमिका भी संदिग्ध मिली। प्रकरण से जिलाधिकारी को अवगत कराया गया। तब डीएम ने करीब सवा दो करोड़ रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट के सभी आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया। जिला खाद्य व विपणन अधिकारी ने उपजिलाधिकारी व क्षेत्राधिकारी ठाकुरद्वारा की मौजूदगी में आरोपितों के खिलाफ गबन व धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया।

क्या है सीएमआर

धान क्रय केंद्र पर किसानों से धान खरीदे गए धान को राइस मिलों पर भेजा जाता है। राइस मिल धान से चावल निकालकर राज्य सरकार के गोदामों में भेजा जाता है। धान से छिलके बाद बचे चावल को सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) बोला जाता है। सरकारी मानक के अनुसार धान से 67 फीसद चावल निकलता है। यानि की धान क्रय केंद्र से राइस मिल को एक क्विंटल धान भेजने के बाद 67 किलोग्राम चावल गोदाम पर पहुंचना चाहिए।

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