शर्तो में बंधी बुर्जुग कैदियों की रिहाई

मुरादाबाद: कारागार में उम्र के नब्बे बसंत देख चुके बंदियों को अब सलाखों से बाहर आने की उम्मीद

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 07:47 AM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 07:47 AM (IST)
शर्तो में बंधी बुर्जुग कैदियों की रिहाई
शर्तो में बंधी बुर्जुग कैदियों की रिहाई

मुरादाबाद: कारागार में उम्र के नब्बे बसंत देख चुके बंदियों को अब सलाखों से बाहर आने की उम्मीद टूट चुकी है। शासन ने दो अक्टूबर को उम्रदराज बंदियों को रिहा करने का निर्देश जारी किया है। लेकिन शतरें का ऐसा तार बाधा है कि इसको तोड़ पाना किसी भी बंदी के लिए आसान नहीं हैं। कारागार में 80 से 100 वर्ष के बीच में चार बंदी हैं। जिनका कारागार में चलना-फिरना भी मुश्किल होता है। अफसरों और बंदी रक्षकों की देखभाल के चलते यह लोग कारागार में सहूलियत से सजा काट रहे है। इन बंदियों की रिहाई के लिए कई बार स्थानीय समिति के माध्यम से जेल अफसरों ने पत्र शासन को भेजा है। उम्र के इस पड़ाव में पहुंच चुके यह बंदी अब दो कदम चलने में दिक्कत महसूस करते हैं। ऐसे में अफसर भी चाहते हैं कि इन जीवन को जो शेष समय बचा है कि वह यह लोग अपने परिवार के साथ बिताएं। लेकिन कानून की बंदिशों के चलते इन्हें बाहर नहीं निकाला जा सकता है। हालाकि इन वृद्ध बंदियों के लिए जेल ही परिवार बन गया है। एक लंबे अर्से से इनके परिवार के लोग भी इनसे मिलने नहीं आते हैं। त्योहारों के अवसर अक्सर कोई व्यक्ति परिवार से आता था,लेकिन बीते कुछ वषरें से उन लोगों ने भी आना-जाना छोड़ दिया है। जिससे यह बंदी अवसाद ग्रस्त भी हो गए थे। मानसिक स्थिति कमजोर होने के चलते इनकी याददाश्त भी कमजोर हो गई है। ऐसे में इन बंदियों के लिए जेल ही अब घर जैसी नजर आती है।

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वर्जन--

उम्रदराज बंदियों को छोडऩे के लिए शासन को उच्च अधिकारियों के माध्यम से पत्र भेजे गए हैं। लेकिन इन बंदियों के छोडऩे को लेकर अभी तक विचार नहीं किया गया है। हमें उम्मीद है कि शायद दो अक्टूबर के मौके पर यह उम्रदराज बंदी कारागार से बाहर निकल सकें। बंदियों को छोडऩे का अंतिम निर्णय शासन ही लेगा।

-जितेन्द्र प्रताप तिवारी, जेलर।

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