नेताजी न इधर के रहे न उधर के, सीने में दबाए बैठे हैं लाखाेंं के नुकसान का दर्द Moradabad News
आजकल एक नेताजी अपने सीने में लाखों के नुकसान का दर्द लिए घूम रहे हैं लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। वह हर दहलीज पर गए लेकिन अफसोस बात नहीं बन पाई।
मुरादाबाद (प्रेमपाल सिंह)। भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी आज कल बहुत ही ज्यादा परेशान हैं। उनकी स्थिति अब 'न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनमÓ की है, तभी तो गाते फिर रहे हैं कि रहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए। दिल्ली रोड पर आवास विकास के एक कार्यालय के सामने रुके थे, तभी चौबेजी ने पीछे से आकर कंधे पर हाथ मारा, पूछा नेताजी क्या हुआ। बोल पड़े कि इसी विभाग की मेहरबानी है। अब क्या बताएं, हमारा तो लाखों का नुकसान हो गया। 600 मीटर का एक टुकड़ा बिल्डर से खरीदा था। पहले तो आवासीय क्षेत्र की जमीन थी। अब व ग्राम पंचायत में आ गई है। उसको आवास विकास ने अधिगृहण कर लिया। जो कीमत बाजार में मिलती, अब वो कीमत तो नहीं मिलेगी। चौबेजी पूछ बैठे, आपकी तो पकड़ है। नेताजी बोल पड़े, हर दरवाजे पर पहुंचे हैं, पर जगह से निराशा मिली है।
इंतजार में होती शाम
भाजपा के जिला सदर से मिलना अब आम कार्यकर्ताओं के लिए मुश्किल भरा हो चला है। दरअसल वह 70 किमी से भी अधिक दूर पर रहते हैं। यहां के या फिर बिलारी और कुंदरकी कार्यकर्ताओं को मिलना है तो बुद्धि विहार स्थित भाजपा कार्यालय ही स्थान है। फोन करते हैं तो कार्यकर्ता को मिलने का समय मिलता हैं। एक बार एक परिचित को चौधरी चरण चौक पर मिलने का समय दे दिया गया। वह अपने घर से चले, फिर ठाकुरद्वारा में कार्यकर्ताओं से मिले। कई घंटे बीतने के बाद चौधरी चरण सिंह चौक पर पहुंचे तो शाम हो गई। देर शाम तक कार्यालय पहुंचे। यही रूटीन बना हुआ है। ऐसे में कार्यकर्ताओं को इंतजार करते-करते रात तक हो जाती है। मिलने वालों के सामने एक और संकट है, फोन मिलाने पर खुद नहींं उठाते, उनके साथ चलने वाले ही बातचीत करते हैं। ऐसे में मिलना मुश्किल हो चला है।
हाकिम के सामने पसीना-पसीना
एक ब्लाक प्रमुख के तख्ता पलट को लेकर सियासी घमासान तेज हो चला है। इसमें दिग्गजों की प्रतिष्ठा जो जुड़ गई है। इसको लकर धरने-प्रदर्शन तक हुए। इसके बाद जब तारीख लेने की मांग की गई तो हाकिम ने एक अफसर को नियुक्त कर दिया। वह अपने कार्यों में व्यस्त रहे और समय नहीं दिया। हाकिम को गुस्सा आ गया तो फिर बुलाकर जो क्लास लगाई, उसमें अफसर पसीना-पीसना हो गए। उनका हार्ट बीट तक बढ़ गई। आखिरकार नौ अप्रैल की तिथि घोषित कर दी गई। सत्ता से जुड़े इस खेल में अफसर पीस रहे हैं। हाकिम की क्लास की अफसर ने अपने सर्वेसर्वा को लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण में पेश होकर बता दी। शिकायत तक दी। माननीय ने पूरी बात सुनी और ठीक है कहकर बात खत्म करी। अब सबकी नजर नौ अप्रैल पर है, आखिर होगा क्या। तख्ता पलट तो सत्ता का रसूख खत्म हो जाना तय ही है।
गठबंधन होते ही कार्यालय गुलजार
घाट-घाट का पानी पीकर कमल के फूल का दामन थामने वाले एक नेताजी आजकल तो खूब चर्चा में हैं। पार्टी से टिकट मिला तो परिवार में एक को नगर की सरकार में नुमाइंदगी दिलवा दी। अब तो अपने पुराने धंधे पर उतर आए हैं। बाकायदा बड़ा कार्यालय खोल रखा है। वैसे तो सबका आना जाना खूब हो रहा है लेकिन, उनकी पार्टी के सदर का आना सुर्खियां बटोर रहा है। एक बार दोनों के बीच में एक मामले में बंटवारे को लेकर खटर-पटर हो गई थी। अब फिर से समझौता हो गया है। अब तो शाम होते ही झंडा लगी गाड़ी कार्यालय के बाहर ही आकर खड़ी मिलती है। उनके कार्यालय की शान बढ़ रही है और उसकी आड़ में अपना जलवा खूब बनाया जा रह है। दोनों के बीच गठबंधन को लेकर चर्चाएं खूब हो रही हैं। अब उसी कार्यालय में शाम को जनता दरबार तक लगने लगा है।