मुफलिसी की मार और अब मायका भी उजड़ा

शादी के कुछ समय बाद ही गुडि़या मायके में आ गई थी। 25 दिसंबर 2019 की ।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Jun 2020 02:43 AM (IST) Updated:Tue, 09 Jun 2020 06:05 AM (IST)
मुफलिसी की मार और अब मायका भी उजड़ा
मुफलिसी की मार और अब मायका भी उजड़ा

मुरादाबाद, जेएनएन। शादी के कुछ समय बाद ही गुडि़या मायके में आ गई थी। 25 दिसंबर 2019 की रात महिला अस्पताल से भी उसे दुत्कार दिया गया था। घर पहुंचने के दौरान ऑटो में ही उसने बच्चे को जन्म दिया था। दिव्यांग पिता और भाई ने बच्चे का सब्जी काटने वाली छुरी से नाल काटा था। उस दिन अगर पिता और भाई नहीं होते तो उसके मासूम बेटे की जान भी खतरे में पड़ जाती। पति की मौत पहले ही हो चुकी है। पिता-भाई की बेरहमी से हत्या होने पर वो उन लम्हों को याद करके फफक पड़ती है। उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे हैं। कोई मददगार अगर पहुंच रहा है तो उसकी आंखें सरकारी तंत्र की कहानी बयां कर रही हैं। समाज के ठेकेदारों से उसकी आंखें सवाल करती नजर आती हैं, अब कौन उसकी मदद को आगे आएगा।

लाइनपार के हनुमान नगर में रहने वाले दिव्यांग किशनलाल ने गुडि़या की शादी तो जैसे तैसे डेढ़ साल पहले दिल्ली में कराई थी। पति की आमदनी कम होने की वजह से गुड़िया का ससुराल में रहना दुश्वार हो गया था। दो माह बाद ही पिता ने उसे मायके में बुला लिया। मायके आई थी तो दो माह के गर्भ से थी। 25 दिसंबर 2019 की रात प्रसव पीड़ा हुई तो वह महिला अस्पताल पहुंची, यहां भी उसे ठोकरें खानी पड़ी थी। वापस हुई तो लाइनपार हनुमान नगर की गली के मोड़ पर प्रसव हो गया। वो बेसुध पड़ी थी। दिव्यांग पिता बेटी के पास पहुंचे और सब्जी काटने वाली छुरी से ही बच्चे का नाल काटा था। नवजात के कपडे़ तक के पैसे नहीं थे। गुड़िया ने भाई की जैकेट में ही बच्चे को लपेट दिया था। दैनिक जागरण के प्रयास से उस वक्त कई संस्थाओं ने उसकी कपडे़, रुपये और राशन से मदद की थी। अब पिता और भाई की हत्या पर वह मुंह से कुछ नहीं बोल रही। आंखों से आंसू लगातार निकल रहे हैं। गुड़िया की आंखे सरकारी तंत्र की अनदेखी पर बेबसी से देख रहीं है। कौन उसका ध्यान रखेगा। उसकी और उसके बच्चे की जिदगी किसके भरोसे चलेगी। आइये बने गुडि़या और उसके बच्चे का सहारा

- शहर में सामाजिक संस्थाओं के साथ ही गरीब और असहायों की मदद करने वाले है। गुड़िया के लिए पिता और भाई का सहारा तो दबंगों ने छीन लिया लेकिन, अब समाज के जिम्मेदार लोगों को उसकी मदद के लिए आगे आना होगा। पिछले साल जिस तरह आप लोगों ने उसकी मदद करके आंसू पोछे थे, उसी तरह आज भी उसे आपकी जरूरत है। आइये गुड़िया के मददगार बने।

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