सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में दो पाकिस्‍तानी नागरिक समेत छह दोषी करार, कल सुनाई जाएगी सजा Rampur News

सीआरपीएफ पर आतंकी हमले के मुकदमे में आज पहली नवंबर को फैसला आया। इसमें तीन पाकिस्‍तानी नागरिकाेंं समेत छह को दोषी करार दिया गया है। इसके लिए पूरे जिले की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Fri, 01 Nov 2019 12:28 PM (IST) Updated:Fri, 01 Nov 2019 12:28 PM (IST)
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में दो पाकिस्‍तानी नागरिक समेत छह दोषी करार, कल सुनाई जाएगी सजा   Rampur News
सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले में दो पाकिस्‍तानी नागरिक समेत छह दोषी करार, कल सुनाई जाएगी सजा Rampur News

रामपुर, जेएनएन : आखिरकार सीआरपीएफ आतंकी हमले के मुकदमे के फैसलाा हो गया। करीब 12 साल पहले हुई इस घटना के मुकदमे में पिछले शनिवार को बहस पूरी हो गई थी। आज पहली नवंबर को अदालत ने फैसला सुनाते हुए सीआरपीएफ आतंकी हमले के आरोप से कौसर फारूकी और गुलाब खान बरी कर दिया। इनमें कौसर फारूकी कुंडा प्रतापगढ़ का और गुलाब खान खजुरिया रामपुर का रहने वाला है जबकि दो पाकिस्तानी समेत छह को सीआरपीएफ हमले में दोषी करार दिया गया है। अपर जिला जज संजय कुमार ने यह फैसला सुनाया । इन्हें सजा कल सुनाई  जाएगी।

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर 31 दिसंबर 2007 की रात आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले में सीआरपीएफ के सात जवान शहीद हो गए थे, जबकि एक रिक्शा चालक की भी जान गई थी। पुलिस ने हमले के आरोप में आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें पाक अधिकृत कश्मीर का इमरान, मोहम्मद फारूख, मुंबई गोरे गांव का फहीम अंसारी, बिहार के मधुबनी का सबाउद्दीन सबा, प्रतापगढ़ के कुंडा का कौसर खां, बरेली के बहेड़ी का गुलाब खां ( मूूूल निवासी खजुरिया रामपुर ), मुरादाबाद के मूंढापांडे का जंग बहादुर बाबा खान और रामपुर के खजुरिया गांव का मोहम्मद शरीफ शामिल हैं। सभी को सुरक्षा के मद्देनजर लखनऊ और बरेली की जेलों में रखा गया है। 

 सभी को कड़ी सुरक्षा में कोर्ट ला जा रहा 

मुकदमे के फैसले के लिए सभी को कड़ी सुरक्षा में कोर्ट ला जा रहा है। मुकदमे की सुनवाई अपर जिला सत्र तृतीय के न्यायालय में है। मुकदमे में बचाव पक्ष की ओर से दिल्ली के अधिवक्ता एमएस खान के अलावा स्थानीय अधिवक्ता मोहम्मद जमीर रिजवी और नावेद खां ने बहस की है। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने आरोपितों को झूठा फंसाए जाने की बात कही। अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी दलविंदर सिंह डंपी और एटीएस लखनऊ की ओर से आए अधिवक्ता अतुल ओझा ने बहस की। अभियोजन पक्ष ने आरोपितों के घटना में शामिल होने का तर्क देते हुए कड़ी सजा की मांग की। जिला शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि बहस पूरी हो गई। कोर्ट कुछ देर के बाद मुकदमे का फैसला सुनाएगी।   

हैंड ग्रेनेड और एके 47 से किया था सीआरपीएफ पर हमला 

वो नए साल के जश्न की रात थी, जब पूरा शहर आने वाले साल के स्वागत में देर रात तक झूम रहा था। लोग जब थककर चूर होकर सो गए। तब ऐसा हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। रात तीन बजे सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकियों ने बम और गोलियां बरसा दीं और अमन पसंद रामपुर के माथे पर आतंकी हमले का कलंक लगा दिया। आतंकियों ने हैंड ग्रेनेड और एके 47 से हमला किया था। इसमें सात जवान शहीद हो गए थे, जबकि गेट के पास रिक्शा में सो रहे चालक की भी मौत हो गई थी। हमले की यह घटना 31 दिसंबर 2007 को हुई थी। आतंकी सीआरपीएफ के हाईवे स्थित गेट से घुसे थे। गेट के पास ही रेलवे क्रॉङ्क्षसग है, जहां कुछ जवान आग जलाकर हाथ सेंक रहे थे। इसके अलावा कुछ जवान गेट पर तैनात थे। शायद किसी को हमले का जरा भी अंदाजा नहीं था। सर्दी में शॉल के अंदर हथियार छुपाकर वहां आए आतंकियों ने अचानक से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। अचानक हुए हमले से जवानों को संभले का मौका नहीं मिला। इसके बाद आतंकी गोलियां और बम बरसाते हुए सेंटर के काफी अंदर तक घुस गए थे।  

पांच पुलिस कर्मी भी हुए थे घायल 

सीआरपीएफ पर आतंकी हमले का शायद जल्दी पता नहीं चलता, क्योंकि लोग धमाकों को आतिशबाजी का शोर समझते रहे। ऐसे में आतंकी और ज्यादा जान माल का नुकसान कर सकते थे, लेकिन उसी दौरान वहां सिविल लाइंस पुलिस की जीप आ गई। दरअसल, पुलिस को कोसी पुल के नीचे एक लाश की सूचना मिली थी। पुलिस वहां से लौट रही थी तो सीआरपीएफ गेट के पास धमाकों की आवाज सुनकर रुक गई। जीप में एक दारोगा, चार सिपाही और एक होमगार्ड था। पुलिस कर्मियों ने आतंकियों से मोर्चा लिया, लेकिन पुराने जमाने के हथियार होने की वजह से पुलिस कर्मी ज्यादा देर तक नहीं टिक सके। आतंकियों ने पुलिस पर भी गोलियां चलाईं। उन्होंने किसी तरह जान बचाकर सूचना थाने में दी। जब तक पुलिस फोर्स और सीआरपीएफ के अधिकारी अलर्ट होते, तब तक आतंकी फरार हो चुके थे। 

पहले मिल गई थी हमले की सूचना 

 सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले की सूचना सीआरपीएफ के अधिकारियों को पहले ही खुफिया विभाग से मिल चुकी थी। इसकी जानकारी समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुई थी, लेकिन इसे किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। यदि सीआरपीएफ के अधिकारी इसे गंभीरता से लेकर सुरक्षा चौकस करते तो आतंकी हमला नाकामयाब होता। जवान शहीद नहीं होते और आतंकी भी मारे जाते। 

मुंबई में आतंकी हमले में भी आरोपित थे फहीम और सबा

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर पर आतंकी हमले के आरोप में पुलिस ने जिन आठ लोगों को पकड़ा है, उनमें शामिल फहीम अंसारी और सबाउद्दीन सबा पर मुंबई में हुए 26/11 के हमले में भी आरोपित बनाए गए थे। यह हमला 26 नवंबर 2008 को हुआ था, जिसमें पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। हालांकि इस हमले में पुलिस ने आतंकी कसाब को ङ्क्षजदा पकड़ा था और बाकी मुठभेड़ में मारे गए थे। मुंबई पुलिस ने इस आतंकी हमले में फहीम और सबा को रैकी करने का आरोपित बनाया था। हालांकि उनके खिलाफ पुख्ता सुबूत न होने पर दोनों मुंबई हाईकोर्ट से बरी हो गए थे। 

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