अब भी न चेते तो शुद्ध हवा को तरस सकती है भावी पीढ़ी

जागरण संवाददाता मीरजापुर अब भी न चेते तो कहीं ऐसा न हो की हमारी भावी पीढ़ी शुद्ध हवा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Nov 2020 07:13 PM (IST) Updated:Sat, 07 Nov 2020 07:13 PM (IST)
अब भी न चेते तो शुद्ध हवा को तरस सकती है भावी पीढ़ी
अब भी न चेते तो शुद्ध हवा को तरस सकती है भावी पीढ़ी

जागरण संवाददाता, मीरजापुर : अब भी न चेते तो कहीं ऐसा न हो की हमारी भावी पीढ़ी शुद्ध हवा के लिए तरस जाए। इसकी जिम्मेदारी काफी हद तक हमारी भी बनती है। कोरोना से बचाव के लिए लाकडाउन के चलते पर्यावरण में काफी हद तक सुधार हुआ, इससे लोगों ने काफी राहत की सांस ली, लेकिन एक बार फिर दीपावली पर पटाखों के धुएं से पर्यावरण की सेहत बिगड़ने के आसार बढ़ गए हैं। डिप्टी सीएमओ डा. अजय कुमार की मानें तो वर्तमान समय में जनपद का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 145 से 200 के बीच है। अर्थात जनपद में पर्यावरण की सेहत सामान्य है और इससे थोड़ा बढ़ाव हुआ तो पर्यावरण की सेहत खराब हो सकती है। वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण के चलते वर्तमान समय में जनपद में 658 लोग श्वांस रोग से पीड़ित है।

दीपावली में बजने वाले पटाखों में बेहद खतरनाक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। कापर, कैडमियम, लेड, मैग्नीशियम सोडियम, जिक नाइट्रेट और नाइट्राइड जैसे रसायन का मिश्रण पटाखों को घातक बना देते है। पटाखे छोड़ने से हम सभी इनसे उत्पन्न होने वाली बिमारियों का शिकार हो सकते है। पटाखों के शोर से प्रकृति और उसके आस-पास के पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुंचता है। पटाखों में मिले रसायनिक मिश्रण से बने पटाखे 125 डेसीबेल से ज्यादा ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इन पटाखों के फटने से कई बार लोग बहरे तक हो जाते है। सांस की बीमारी बढ़ जाती है। पशु-पक्षियों तक की हालत खराब हो जाती है। प्रदूषण फैलाने वाले पटाखों पर अंकुश लगना चाहिए।

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ये है एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई)

वातावरण में धूल कण बढ़ने से हवा बेहद जहरीली हो जाती है। प्रदूषण बढ़ाने वाले सूक्ष्म कणों का पैमाना नियत होता है, इसे एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) कहते हैं।

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विध्य क्षेत्र का एक्यूआई सामान्य, लोगों में राहत

एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 0-50 के बीच बेहतर, 51-100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच सामान्य, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है। वहीं हवा में पीएम 10 का स्तर 100 और पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

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दीपावली पर पटाखा नहीं जलाएं और पर्यावरण को सुरक्षित बनाने में सहयोग करें। दीपावली पर पटाखा जलाते समय जलने पर घबराएं नहीं। जले स्थान को पानी से धुल लें और घर में रखा कोलगेट या कोई भी टूथपेस्ट तत्काल लगा दें। इसके बाद चिकित्सक को दिखाएं

- डा. ओपी सिंह, चर्म रोग विशेषज्ञ।

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पटाखे के धूएं से लोगों में सांस की बीमारी होती है। दीपावली पर पटाखा कम जलाएं। दीये जलाएं। पटाखा जलाते समय आंख में कुछ भी जाने पर तत्काल पानी से धोएं और चिकित्सक से संपर्क करें।

- डा. राम विनय सिंह, आंख, चिकित्सक।

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सुरक्षित पर्यावरण हम सबकी जिम्मेदारी हैं। दीपावली पर इस बार पटाखे की बजाए केवल दीये जलाएं। पटाखे जलाते समय हाथ को दूर रखकर ही जलाएं। जलने पर तत्काल पानी से धोएं।

- डा. सुनील सिंह, फिजीशियन।

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जनता से अपील है कि इस बार दीपावली को पटाखा मुक्त मनाएं। दीपावली पर पटाखों के शोर व धूएं से लोगों को निजात मिलेगी। स्वच्छ दीपावली व स्वस्थ दीपावली मनाएं।

- डा. उमेश कुमार श्रीवास्तव, फिजिशियन

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