मंदी की मार से कालीन कारोबार बेजार
जागरण संवाददाता, कछवां ( मीरजापुर) : शानो शौकत और विलासिता का प्रतीक कालीन जो कभी
जागरण संवाददाता, कछवां ( मीरजापुर) : शानो शौकत और विलासिता का प्रतीक कालीन जो कभी मीरजापुर जनपद का अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व करता था और जनपद को विश्व मंच पर स्थान देता था आज अपने अस्तित्व की लड़ाई पिछले एक दशक से लड़ते लड़ते हीन दिन दशा मे पहुंच गया है। जीएसटी की वजह से मंदी की यह दशा है निर्यातक अपने गोदामों मे कालीन का स्टाक रख कर टकटकी लगाकर विदेशी ग्राहकों का इन्तजार कर रहे है लेकिन दूर दूर तक न तो कोई ग्राहक दिख रहा है नही दिखने की संभावना दिखाई पड़ रही है। लगातार बढ़ रही मंदी के असर ने निर्यातको को झकझोर कर रख दिया है जिसका पूरा असर प्रत्यक्ष रूप से बुनकरो पर पड़ रहा है विदेशो से आर्डर तो मील नही रहा है। कालीन निर्यातक परवेज खान ने कहा कि निर्यातकों की सारी पूंजी गोदामों मे बंद है जिससे असंतुलन की स्थिति पैदा हो गई है निर्यातकों के पास आर्डर न होने के कारण मजदूर भूखमरी के कगार पर हैं और दुसरे कामों के लीए तेजी से परदेस को पलायन कर रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो वह समय दुर नहीं जब कालीन और कालीन उधोग बीती बात हो जाएगी ।
मंदी का क्या है कारण:
कालीन उधोग के मंदी का प्रमुख कारण बिजली और सड़क पूर्वांचल मे सडकों की स्थिति है। ग्राहक दिल्ली और पानीपत जैसे सुविधा सम्पन्न तक ही रह जाते हैं लेकिन पूर्वांचल की तरफ रूख करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते उपर से बिजली दुर्वयवस्था कोढ़ मे खाज का काम कर रही है जब तक आधार भूत सुविधाओं को मजबूत
नहीं किया जाएगा तब तक कालीन उधोग मे तेजी नहीं आ पाएसगी ।
ब्याज दरों में बढ़ोतरी से आहत हैं व्यापारी: ब्याज दरों मे वृद्धि से भी निर्यातक आहत है और जमीनी स्तर पर कालीन उधोग के दशा को सुधारने के लिए सरकार के जो प्रयास है वह सीर्फ कागज तक ही सीमित है जिला
स्तर पर सरकार की प्रस्तावित क्लस्टर योजना ठंढे बस्ते में पड़ी है। कालीन व्यवसायी परवेज आलम, उमा यादव, मुस्तकीन अंसारी,जावेद आलम, मोहम्मद मोबीन ने बताया की कछवां क्षेत्र के मझवां , बजहां, जलालपुर, बरैनी, गोबर्धनपुर, पसीयाही, सरावां समेत दर्जनों गावों मे लगभग हजारों लूम पर बुनाई होता था यही कालीन ही बुनकरों की आजिवीका का प्रमुख साधन था लेकिन मंदी ने बुनकरो को परदेश जाने पर विवश कर दिया।