किसानों को सताने लगी भोजन की चिंता

By Edited By: Publish:Tue, 29 Jul 2014 07:57 PM (IST) Updated:Tue, 29 Jul 2014 07:57 PM (IST)
किसानों को सताने लगी भोजन की चिंता

मीरजापुर : न उधौ मिले न राम। एक तो बारिश नहीं हो रही है। दूसरे जो थोड़ी बहुत हुई भी थी वह भी अब बेकार साबित हो रही है। ऐसे में खेती को लेकर वे मर्माहत हो गए हैं। उनको चिंता सताने लगी है कि अब भोजन कैसे मिलेगा जब खेत में कुछ होगा ही नहीं।

इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद लिए किसान खरीफ अभियान के तहत खेती की तैयारी में अप्रैल के बाद से ही जुट गए थे। खेतों को तैयार करने के साथ ही मई में धान की नर्सरी डाल दी। किसी तरह उसकी सिंचाई किया। जब रोपाई की बारी आई तो मौसम ने दगा दे दिया। अब भला किसान करें क्या। किसी तरह थोड़ी बहुत धान की रोपाई की। ऐसे में छिटपुट बारिश से रोपी गई फसल को जीवन तो मिला लेकिन अब बारिश हो ही नहीं रही है।

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली भी पर्याप्त नहीं मिल रही है कि उसकी सिंचाई की जा सके। बारिश को लेकर अब किसानों की उम्मीद भी टूटने लगी है। ऐसे में वे खेतों में सूख रही धान की फसल को देखकर इस बात से चिंतित हो गए हैं कि अब भला कैसे भोजन मिलेगा। जिस धान के सहारे बेटी की शादी का सोचे थे वह कैसे पूरा होगा।

इस बात को लेकर किसानों का परिवार मर्माहत है। उसे कुछ समाधान दिखाई ही नहीं दे रहा है। सरकार भी सूखे के समाधान के लिए कोई पहल नहीं कर रही है जिससे किसानों को राहत मिल सके।

अरहर व उड़द की फसल भी मुरझाई

छिटपुट बारिश के बाद खेतों में बोई गई अरहर व उड़द की फसल भी अब पानी के अभाव में मुरझाने लगी हैं। सावन के महीने पर जब उनको पानी की जरूरत है तो तेज धूप मिल रही है। ऐसे पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं। कुछ स्थानों पर तो अरहर की पत्तियां गिरने लगी हैं। ऐसे में किसान परेशान हैं कि वे फसल को कैसे बचाएं।

चित्र.2व3.

सूखे को देखते हुए अगैती धान की खेती करें किसान

राजगढ़ क्षेत्र के नदिहार गांव के किसान प्रशिक्षित सिंह ने कहा कि सूखे को देखते हुए इस मौसम में कम समय में कम पानी वाले धान के बीज का चयन करें। इसके पहले खेत के मिट्टी की जांच अवश्य करा लें। किसानों को वर्षा जल संचयन करना चाहिए। इससे अधिक से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। रामलखन मौर्य का कहना है कि कम वर्षा में किसानों को अगैती धान की खेती करना चाहिए। अगर धान की खेती नहीं हो पा रही है तो किसान भाई 15 से 20 सितंबर के बीच साठी सरसों की खेती करने के बाद आसानी से गेहूं की बोआई कर सकते हैं। इससे उनके धान के खेती की भरपाई बहुत हद तक हो जाएगी।

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