जेल जमीन घोटाला, अधिकारियों की गले की फांस बनेगी सीबीआइ जांच M0radabad News

जेल निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में जमकर मनमानी की थी। किसानों की जगह कारोबारियों से जमीन खरीद कर उन्हें लाभ पहुंचाने का काम किया गया था।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Mon, 14 Oct 2019 10:15 AM (IST) Updated:Mon, 14 Oct 2019 11:19 AM (IST)
जेल जमीन घोटाला, अधिकारियों की गले की फांस बनेगी सीबीआइ जांच M0radabad News
जेल जमीन घोटाला, अधिकारियों की गले की फांस बनेगी सीबीआइ जांच M0radabad News

मुरादाबाद। जेल निर्माण के लिए खरीदी गई जमीन में पूर्व में तैनात रहे अफसरों ने जमकर मनमानी की थी। किसानों की जगह कारोबारियों से जमीन खरीद कर उन्हें लाभ पहुंचाने का काम किया गया था। इसी खेल में वक्फ बोर्ड की जमीन का बिना अनुमति के समायोजन कर दिया गया था। शासन के द्वारा वक्फ बोर्ड की जमीन विवादों की जांच सीबीआइ के पास जाने से तत्कालीन अफसरों की गर्दन भी फंस सकती है। मूंढापांडे के सिरसखेड़ा गांव में नई जेल निर्माण का प्रस्ताव पास हुआ था। जेल निर्माण के लिए लगभग 40 हेक्टेयर भूमि की खरीद होनी थी। जमीन खरीद में साल 2017 में तैनात रहे अफसरों ने अपने हितों को साधने के लिए जमकर धांधली की थी। मामला पकड़ में आने के बाद विजिलेंस विभाग को जांच सौंपी गई थी। लेकिन बीते दो सालों से यह जांच ठंडे बस्ते डाल दी गई है। वक्फ बोर्ड की जमीन का समायोजन करके लगभग सवा करोड़ रुपये का चूना भी लगाने का काम तत्कालीन अफसरों ने किया था। अब सीबीआइ जांच के आदेश के बाद अधिकारियों की नींद उड़ गई है। अपने प्रभाव से विजिलेंस की जांच दबाने वाले अफसर अब सीबीआइ के शिकंजे में फंसना तय हैं।

24 लाख में खरीदी,सरकार को 96 लाख में बेची

जेल की जमीन खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था। सर्वे के बाद जब कुछ बड़े कारोबारियों को पता चला कि सिरसखेड़ा में जमीन जेल के लिए खरीदी जानी हैं, तो कारोबारियों ने तत्काल किसानों से 24 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से आनन-फानन में जमीन खरीद ली,और फिर अफसरों से मिलीभगत करते उसी जमीन को 96 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सरकार को बेच दिया। इस मामले में मौजूदा अपर जिलाधिकारी प्रशासन लक्ष्मी शंकर सिंह की जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि जेल के लिए जमीन खरीदने के लिए कोई कमेटी तक नहीं बनाई गई। नियमों के अनुसार कमेटी गठन के बाद ही जमीन खरीद हो सकती है। जमीन की खरीद के लिए कोई प्रस्ताव तक नहीं बनाया गया। तत्कालीन अफसरों ने अपने हितों को साधने और कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए सभी नियमों को ताक में रख दिया था।

2018 में कोर्ट ने रद किया विनिमय

जेल की जमीन के लिए विनिमय के तहत वक्फ बोर्ड की जमीन कुल 1.130 हेक्टेयर कुल तीन एकड़ के आसपास दर्शायी गई थी। लेकिन जमीन खरीद के समय वक्फ की जमीन का तथ्य छिपाकर शासन को रिपोर्ट भेजी गई। इसी मामले को लेकर वक्फ बोर्ड के पदाधिकारी हाईकोर्ट गए थे। जिसके बाद हाईकोर्ट ने विनिमय को रद कर दिया था।

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वर्जन--

जेल जमीन खरीद में नियमों को अनदेखी गई थी। प्रशासनिक जांच पूरी होने के बाद जांच शासन को भेजी गई थी। जिसके बाद शासन ने इस मामले को विजिलेंस विभाग को दोबारा से जांच कर रिपोर्ट मांगी थी। विवादों के कारण ही अभी तक जेल का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है।

लक्ष्मीशंकर सिंह, एडीएम प्रशासन

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