हवाई अड्डे के लिए मेरठ को करना होगा थोड़ा और इंतजार
उड़ान योजना को लेकर एक बार फिर मेरठ छला गया है। केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने जिन 235 रूटों को मंजूरी देने की घोषणा की उनमें 28 रूट उत्तर प्रदेश के लेकिन मेरठ का नंबर नहीं आया।
मेरठ, जेएनएन। गणतंत्र दिवस पर मेरठ के लिए मुख्यमंत्री ने कुछ अच्छी खबरों की घोषणा की तो दिल्ली से मायूस करने वाली खबर आई। मेरठ में आइटी हब और मेट्रो संचालन को लेकर योगी ने प्रतिबद्धता दोहराई। साथ ही रैपिड रेल प्रोजेक्ट की खातिर दिल्ली सरकार द्वारा उनका 1038 करोड़ का हिस्सा न दिए जाने की वजह से इसमें हो रही देरी की बात भी कही। कहा, अरविंद केजरीवाल की वजह से ही दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल कॉरीडोर पर काम नहीं शुरू हो पा रहा है। वहीं, केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय द्वारा उड़ान योजना के तहत तीसरे राउंड के 235 रूटों को मंजूरी देने की घोषणा तो हुई, लेकिन इसमें कहीं जगह न मिल पाने के कारण एक बार फिर मेरठ के हिस्से में मायूसी आ गई।
फिर हुआ छल, प्रदेश में 28 रूट...लेकिन मेरठ नहीं
उड़ान योजना को लेकर एक बार फिर मेरठ छला गया है। केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने तीसरे चरण के तहत जिन 235 रूटों को मंजूरी देने की घोषणा की उनमें सर्वाधिक 28 रूट उत्तर प्रदेश से ही हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी कहे जाने वाले मेरठ का नंबर नहीं आया। इससे तमाम जनप्रतिनिधियों और प्रदेश सरकार के मंत्रियों के दावे एक बार फिर फुस्स हो गए। जीएमआर से एनओसी नहीं मिलने को इसका कारण बताया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सर्वे रिपोर्ट में मेरठ से बेंगलुरु, मुंबई, जम्मू, लखनऊ, इलाहाबाद जैसे शहरों की उड़ान पर सकारात्मक रुख दिखाया गया था। मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री तक भरोसा दिलाते रहे हैं कि मेरठ से उड़ान शुरू होगी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम सूची में भी मेरठ का शामिल न होना, राजनीतिज्ञों के एजेंडे में मेरठ की कमजोर साख को दर्शाता है।
मेरठ में हवाई अड्डा घाटे का सौदा
बता दें कि मेरठ में एयरपोर्ट डेवलप किए जाने की खातिर चार जुलाई, 2014 को एएआइ के साथ प्रदेश सरकार ने समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किया था और इस कड़ी में मौजूदा 47 एकड़ की जमीन पर फैली हवाई पट्टी को एएआइ को सौंप दिया गया था। प्रदेश सरकार को कुल 503 एकड़ जमीन देनी थी और एएआइ को एयरपोर्ट डेवलप करना था। शेष भूमि के लिए 5600 रुपये के रेट से अधिग्रहण पर किसानों को जिला प्रशासन ने राजी किया और तय किया गया कि लगभग 920 करोड़ रुपया जारी होते ही जमीन लेकर एएआइ को दे दी जाएगी, लेकिन तभी मेरठ में हवाई अड्डे को घाटे का सौदा बताते हुए एएआइ और प्रदेश सरकार ने भी हाथ खींच लिए और तभी से मामला खटाई में पड़ गया।
फिर हुआ छल, प्रदेश में 28 रूट...लेकिन मेरठ नहीं
उड़ान योजना को लेकर एक बार फिर मेरठ छला गया है। केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने तीसरे चरण के तहत जिन 235 रूटों को मंजूरी देने की घोषणा की उनमें सर्वाधिक 28 रूट उत्तर प्रदेश से ही हैं, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी कहे जाने वाले मेरठ का नंबर नहीं आया। इससे तमाम जनप्रतिनिधियों और प्रदेश सरकार के मंत्रियों के दावे एक बार फिर फुस्स हो गए। जीएमआर से एनओसी नहीं मिलने को इसका कारण बताया जा रहा है। यह स्थिति तब है जब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सर्वे रिपोर्ट में मेरठ से बेंगलुरु, मुंबई, जम्मू, लखनऊ, इलाहाबाद जैसे शहरों की उड़ान पर सकारात्मक रुख दिखाया गया था। मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री तक भरोसा दिलाते रहे हैं कि मेरठ से उड़ान शुरू होगी, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम सूची में भी मेरठ का शामिल न होना, राजनीतिज्ञों के एजेंडे में मेरठ की कमजोर साख को दर्शाता है।
मेरठ में हवाई अड्डा घाटे का सौदा
बता दें कि मेरठ में एयरपोर्ट डेवलप किए जाने की खातिर चार जुलाई, 2014 को एएआइ के साथ प्रदेश सरकार ने समझौता-पत्र पर हस्ताक्षर किया था और इस कड़ी में मौजूदा 47 एकड़ की जमीन पर फैली हवाई पट्टी को एएआइ को सौंप दिया गया था। प्रदेश सरकार को कुल 503 एकड़ जमीन देनी थी और एएआइ को एयरपोर्ट डेवलप करना था। शेष भूमि के लिए 5600 रुपये के रेट से अधिग्रहण पर किसानों को जिला प्रशासन ने राजी किया और तय किया गया कि लगभग 920 करोड़ रुपया जारी होते ही जमीन लेकर एएआइ को दे दी जाएगी, लेकिन तभी मेरठ में हवाई अड्डे को घाटे का सौदा बताते हुए एएआइ और प्रदेश सरकार ने भी हाथ खींच लिए और तभी से मामला खटाई में पड़ गया।