आक्रोश और रुदन के बीच दम तोड़ गई इंसानियत, लोग बने मूकदर्शक

हादसे के बाद एक ओर आक्रोश की ज्वाला भड़क रही थी तो, दूसरी ओर सड़क पर पड़े अवश्षों को पुलिस ने दुकानदारों से ही साफ करवाया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Dec 2018 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 10 Dec 2018 04:00 AM (IST)
आक्रोश और रुदन के बीच दम तोड़ गई इंसानियत, लोग बने मूकदर्शक
आक्रोश और रुदन के बीच दम तोड़ गई इंसानियत, लोग बने मूकदर्शक

मेरठ । हादसे के बाद एक ओर आक्रोश की ज्वाला भड़क रही थी तो, दूसरी ओर सड़क पर पड़े मासूम के मांस के लोथड़े और कटे हाथ को देखकर रुदन में हर किसी की आंखें नम थीं। इस बीच मानवता भी दम तोड़ गई। जनता की हितैषी होने का दावा करने वाली खाकी ने खुद के बजाय दुकानदारों से झाड़ू लगवाकर मांस के लोथड़े इकट्ठे कराए, जिन्हें पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। खाकी की इस कार्यशैली ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।

हादसे के बाद मासूम का शव क्षत-विक्षत हो चुका था। कई मीटर तक उसके मांस के लोथड़े फैल गए थे। हाथ धड़ से अलग होने के बाद प्रिया एक ओर अचेत पड़ी थी। उसके कटे हाथ और धड़ से खून बह रहा था। काफी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची और प्रीति, जितेंद्र व प्रथम को अस्पताल भिजवाया। इसके बाद आक्रोश को खत्म करने की कोशिश की। बवाल थमा तो पुलिस ने बच्चे के शव को खुद उठाना मुनासिब नहीं समझा और न ही महिला का कटा हाथ उठाया।

दुकानदारों से ली मदद

पुलिस ने कुछ स्थानीय दुकानदारों को बुलाया और झाड़ू से बच्चे के शव के मांस के लोथड़े एकत्र कराए। इसके बाद एक पॉलीथिन में कटा हाथ रखवाया और पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। सड़क पर पड़े खून को भी झाड़ू से ही साफ कराने के बाद धुलाई करा दी गई। पुलिस निर्देश तो देती रही, लेकिन खुद कुछ नहीं किया। मदद के लिए चिल्लाता रहा जितेंद्र

पत्‍‌नी और पुत्र को देखकर जितेंद्र बदहवास हो गया था। वह अपने बड़े पुत्र प्रथम को गोद में लेकर मदद के लिए चिल्लाता रहा। काफी देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जिसके बाद उन्हें अस्पताल भिजवाया गया। कुछ लोगों ने उसे समझाया और अस्पताल ले जाने लगे, लेकिन वह पत्‍‌नी और बेटे को छोड़कर अस्पताल नहीं जाना चाहता था।

फिजा में घुल गया होता जहर

हादसे के बाद मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा तबका जितेंद्र के पक्ष में आ गया। भीड़ ने बस चालक की पिटाई करनी शुरू कर दी। एक बारगी तो फिजा में सांप्रदायिक रंग घुल गया होता, परंतु दोनों समुदायों के बुजुर्ग लोगों ने झगड़ा करने से रोका।

45 मिनट देरी से पहुंचे चौकी इंचार्ज

घटना के बाद एसपी सिटी व थानेदार मौके पर पहुंच गए, परंतु आबूलेन चौकी इंचार्ज आशू भारद्वाज 45 मिनट बाद मौके पर पहुंचे। एसपी सिटी ने देरी से पहुंचने पर फटकार लगाई और स्पष्टीकरण मांगा।

खतौली के लिए चली थी बस

भैंसाली डिपो से बस खतौली के लिए यात्रियों को लेकर चली थी। कुछ दूर जाते ही हादसा हो गया तो बस अफरातफरी मच गई। लोगों ने बस में तोड़फोड़ करनी शुरू कर दी। इस दौरान बस में सवार कुछ यात्री पत्थर लगने से बाल-बाल बच गए।

हादसे के बाद लगा भीषण जाम

हादसे के बाद सड़क के दोनों ओर भीषण जाम लग गया। सैकड़ों वाहन जाम में फंसे रहे। कुछ वाहन चालक तमाशबीन बनकर बदहवास हुए जितेंद्र को देखते रहे तो, कुछ लोग उसकी मदद करने के लिए सड़क पर वाहन रोककर आगे बढ़े। यातायात सुचारू कराने के लिए पुलिस को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

अतिक्रमण व रफ्तार है हादसे की वजह : भैंसाली डिपो के आसपास का इलाका अतिक्रमण से कराह रहा है। सड़कें संकरी हो गई हैं। वहां से गुजरने वाली बसें भी बेहद तेज रफ्तार के साथ गुजरती हैं। बीच सड़क यात्रियों को उतारती हैं। ई-रिक्शा के कारण यह क्षेत्र जाम रहता है। यदि अतिक्रमण नहीं होता तो हादसा टल सकता था। यहां पर इससे पहले भी कई हादसे हो चुके हैं।

chat bot
आपका साथी