World Population Day: हर साल पैदा हो रहे एक लाख बच्चे, घर-घर पहुंचकर बताने होंगे जनसंख्या रोकने के तरीके
मेरठ जिले की कुल जनसंख्या के मुकाबले शहरी क्षेत्र की आबादी में अपेक्षित रूप से ज्यादा बढ़ोतरी रही है। बढ़ते जनसंख्या घनत्व के रूप में इसका असर देखा भी जा सकता है।
मेरठ, जेएनएन। मेरठ की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जिले की कुल जनसंख्या के मुकाबले शहरी क्षेत्र की आबादी में अपेक्षित रूप से ज्यादा बढ़ोतरी रही है। बढ़ते जनसंख्या घनत्व के रूप में इसका असर देखा भी जा सकता है। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, शहर में एक हेक्टेयर में 74 लोगों के रहने का अनुपात था, जो दस साल बाद यानी 2011 में बढ़कर 90 हो गया। मौजूदा समय में यह आंकड़ा 100 के पार है। शहरी क्षेत्र की आबादी लगातार घनी हो रही है। इससे साफ है कि संसाधनों की उपलब्धता को लेकर आगे और बड़ी चुनौती रहेगी।
हर वर्ष करीब एक लाख बच्चे हो रहे पैदा
1991 की जनगणना के मुताबिक, मेरठ की कुल आबादी 24 लाख थी, जो 2011 तक बढ़कर 35 लाख पार कर गई। 1991 में मेरठ शहर में सात लाख 53 हजार लोग थे। वर्ष 2011 की जनगणना में आबादी बढ़कर 14 लाख के करीब पहुंच गई। जिले में हर वर्ष करीब एक लाख बच्चे पैदा हो रहे हैं। वर्ष 2001 में नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 10 लाख 68 हजार 772 थी। वर्तमान में लगभग 16.50 लाख पहुंच गई है। क्षेत्रीय रोजगार कार्यालय में 32 हजार से अधिक बेरोजगार पंजीकृत हैं।
जनसंख्या का नियमन जरूरी
सीसीएसयू के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. पवन कुमार शर्मा बताते हैं कि शिक्षा का अभाव जनसंख्या बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह है। वहीं, एनएएस कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संजीव का कहना है कि विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण और नियोजन दोनों आवश्यक हैं। घर-घर पहुंचकर जनसंख्या रोकने के तरीके बताने होंगे।
हर वर्ष करीब एक लाख बच्चे हो रहे पैदा
1991 की जनगणना के मुताबिक, मेरठ की कुल आबादी 24 लाख थी, जो 2011 तक बढ़कर 35 लाख पार कर गई। 1991 में मेरठ शहर में सात लाख 53 हजार लोग थे। वर्ष 2011 की जनगणना में आबादी बढ़कर 14 लाख के करीब पहुंच गई। जिले में हर वर्ष करीब एक लाख बच्चे पैदा हो रहे हैं। वर्ष 2001 में नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 10 लाख 68 हजार 772 थी। वर्तमान में लगभग 16.50 लाख पहुंच गई है। क्षेत्रीय रोजगार कार्यालय में 32 हजार से अधिक बेरोजगार पंजीकृत हैं।
जनसंख्या का नियमन जरूरी
सीसीएसयू के राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. पवन कुमार शर्मा बताते हैं कि शिक्षा का अभाव जनसंख्या बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह है। वहीं, एनएएस कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर संजीव का कहना है कि विकास के लिए जनसंख्या नियंत्रण और नियोजन दोनों आवश्यक हैं। घर-घर पहुंचकर जनसंख्या रोकने के तरीके बताने होंगे।