यहां दिल का हाल सुनने को नहीं है 'दिलवाला'

यहां दिल का हाल सुनने को नहीं है 'दिलवाला' मेरठ गांव और शहरों में सरकार बेहतर इलाज क

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Nov 2018 09:00 AM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 09:00 AM (IST)
यहां दिल का हाल सुनने को नहीं है 'दिलवाला'
यहां दिल का हाल सुनने को नहीं है 'दिलवाला'

यहां दिल का हाल सुनने को नहीं है 'दिलवाला'

मेरठ गांव और शहरों में सरकार बेहतर इलाज का दावा करती है, लेकिन मेरठ जोन के सबसे बड़े लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज की हालत देखकर मरीजों का कलेजा बैठ जाता है। यहां हृदय रोग विभाग में विशेषज्ञ ही नहीं हैं। न ही नियमित जांच की सुविधा। इन हालात में इलाज की बात करना ही बेमानी है। दिल का दौरा पड़ने पर मरीज को दिल्ली रेफर कर दिया जाता है।

शुक्रवार को खुर्जा निवासी जगवीर सीने के दर्द से कराहते हुए मेडिकल कॉलेज पहुंचे। पर्चा बनवाने के बाद हृदय रोगियों की ओपीडी कक्ष संख्या पांच में गए। कक्ष में कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। परिजनों के साथ मेडिसिन विभागाध्यक्ष के क क्ष पहुंचे। जहां से ओपीडी कक्ष चार में भेज दिया गया। जहां रेजीडेंट डॉक्टर ने ईसीजी की सलाह देकर इतिश्री कर ली। इसी तरह एक मरीज की ईसीजी जांच देखने के बाद आपातकालीन विभाग के रेजीडेंट डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर लिए। कहा, यहां कार्डियोलॉजिस्ट नहीं हैं। उसे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। यह दो केस बानगी हैं। हर दिन दिल के रोगी इलाज के लिए भटकते हैं। 2012 से रिक्त पड़ा है कार्डियोलॉजिस्ट का पद

वर्ष 2012 में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जीके अनेजा का स्थानांतरण हो गया था। इसके बाद से यह पद खाली पड़ा है। मेडिकल कॉलेज में मेरठ, बागपत, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, बुलंदशहर, हापुड़ सहित अन्य जिलों से बड़ी संख्या में हृदय रोगी आते हैं। दो दिन से नहीं हुई ईको जांच

ओपीडी में हृदय रोगियों को देखने वाले फिजीशियन डॉ. अरविंद कुमार इन दिनों छुट्टी पर हैं। इससे बुधवार और गुरुवार को दिल के रोगियों की ईको जांच नहीं हो सकी। कार्डियो पल्मोनरी लैब में ताला लटका है। ईसीजी करने के लिए टेक्नीशियन नहीं है। स्टॉफ नर्स से ईसीजी जांच कराई जा रही है। इन्होंने कहा--

कार्डियोलॉजिस्ट का पद भरने के लिए विभाग से लिखा जा रहा है। सोमवार को प्रशिक्षित डॉक्टर हृदय रोगियों को देखते हैं। ईसीजी और ईको जांच की सुविधा है। आइसीयू में पांच बेड हृदय रोगियों के लिए हैं।

डॉ. तुंगवीर सिंह आर्य, विभागाध्यक्ष मेडिसिन हर मंगलवार को वॉक इन इंटरव्यू से यह पद भरने की कोशिश में हैं, लेकिन अभी तक कार्डियोलॉजिस्ट के पद के लिए आवेदन नहीं आया है। चिकित्सा शिक्षा विभाग को भी विशेषज्ञ के अभाव में हो रही परेशानियों से अवगत कराया गया है।

-डॉ. आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज

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फैक्ट फाइल

- 70 से 80 दिल के मरीज प्रतिदिन ओपीडी में इलाज को आते हैं।

- 150 से अधिक हृदय रोगियों की ओपीडी होती है सोमवार को।

- 10 से 15 गंभीर हृदय रोगी इमरजेंसी में आते हैं प्रतिदिन।

- 90 प्रतिशत गंभीर रोगी कर दिए जाते हैं हायर सेंटर रेफर।

- 50 से ज्यादा ईसीजी जांच प्रतिदिन होती है।

- 20- 25 ईको जांच बुधवार और गुरुवार को होती है।

- 05 बेड मेडिसिन आइसीयू में हैं हृदय रोगियों के लिए।

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