राष्ट्रपति ने पहले माताओं ने कराया ठा. बांकेबिहारी का पूजन
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में तय समय पर पहुंचे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का इंतजार कर रहीं निराश्रित माताओं ने टीका लगाकर स्वागत किया
संवाद सहयोगी, वृंदावन: निराश्रित माताओं का समाज में कैसा सम्मान हो, इसकी मिसाल राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने ठा. बांकेबिहारी मंदिर में पेश की। उन्होंने खुद दर्शन पूजन से पहले माताओं को इसका मौका दिया। यही नहीं, मंदिर के गोस्वामी से सम्मान की इकलोई(शाल) भी खुद न पहनकर पहले माताओं को पहनाने को कहा।
ठा. बांकेबिहारी मंदिर में तय समय पर पहुंचे राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का इंतजार कर रहीं निराश्रित माताओं ने टीका लगाकर स्वागत किया। पांच माताओं को साथ लेकर राष्ट्रपति मंदिर के अंदर पहुंचे। यहां फूलबंगला में विराजमान ठा. बांकेबिहारी के तल्लीनता से दर्शन किए। सेवाधिकारी बालकृष्ण गोस्वामी ने राष्ट्रपति को इकलाई पहनाने की कोशिश की तो उन्होंने इशारे से पहले निराश्रित माताओं को इकलाई पहनाने का निर्देश दिया। वैदिक आचार्य अवधेश बादल के आचार्यत्व में राष्ट्रपति कोविन्द ने पत्नी व बेटी सहित आराध्य बांकेबिहारी का षोडशोपचार विधि से पूजन किया। आचार्य अवधेश बादल ने वेदमंत्रों के मध्य राष्ट्रपति को पवित्र आचमन कराया। स्वास्तिवाचन के साथ दीप जलाया। गुलाब जल से देहरी का अभिषेक कर इत्र से मालिश की। पुष्पमाला, धूपदीप व नैवेद्य अर्पित कर विधिविधान पूर्वक पूजन किया। राष्ट्रपति ने जेब से एक लिफाफा निकाला और ठाकुरजी के चरणों में अर्पित किया। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वैदिक रूप से आराध्य का पूजन किया। - वैदिक आचार्य को दी दक्षिणा
राष्ट्रपति ने पूजा-अर्चना करने के बाद वैदिक आचार्य अवधेश बादल को पांच सौ रुपये दक्षिणा दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो हजार रुपये आचार्य अवधेश बादल को भेंट किए। - माताओं के सहारे आराध्य के दर्शन का मिला लाभ
ठा. बांकेबिहारी जी के दर्शन कर राष्ट्रपति गदगद हो गए। मंदिर में दर्शन व पूजन करने के बाद वैदिक आचार्य अवधेश बादल के साथ राष्ट्रपति ने सामान्य चर्चा की। राष्ट्रपति ने कहा आज मेरा सौभाग्य है कि निराश्रित माताओं के सहारे उन्हें ब्रह्मांड नायक ठा. बांकेबिहारीजी के दर्शन संभव हो सके। राष्ट्रपति ने आचार्य अवधेश बादल से आध्यात्मिक चर्चा भी की। -आतंकी बंदरों से लंगूर ने की चश्मे की सुरक्षा
ठा. बांकेबिहारी मंदिर के आसपास बंदरों का आतंक रहता है। अक्सर वे भक्तों का चश्मा छीनकर भाग जाते हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द भी चश्मा लगाते हैं। इसे ध्यान रखते हुए उनके दौरे पर मंदिर से लेकर वीआइपी पार्किंग तक चार प्रशिक्षित लंगूर की व्यवस्था की गई। बंदर लंगूर से डरते हैं।