जिला अस्पताल में तीन घंटे तक 'कोमा' में रही बिजली

मैनपुरी जासं। 24 घंटे बिजली देने के लिए जिला अस्पताल के लिए स्वतंत्र फीडर है मगर रविवार को ऊपर हुए फॉल्ट से यहां की बिजली व्यवस्था भ्कोमा में चली गई। यहां के वार्डो में अंधेरा छा गया। कर्मचारियों को मोबाइल टॉर्च की रोशनी में इलाज करना पड़ा। करीब तीन घंटे तक बिजली न होने से कर्मियों को परेशानी उठानी पड़ गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Jan 2020 10:30 PM (IST) Updated:Mon, 20 Jan 2020 06:11 AM (IST)
जिला अस्पताल में तीन घंटे तक 'कोमा' में रही बिजली
जिला अस्पताल में तीन घंटे तक 'कोमा' में रही बिजली

जासं, मैनपुरी: 24 घंटे बिजली देने के लिए जिला अस्पताल के लिए स्वतंत्र फीडर है मगर रविवार को 'ऊपर' हुए फाल्ट से यहां की बिजली व्यवस्था भी 'कोमा' में चली गई। बाहर दिन के उजाले में भी वार्ड अंधेरे में डूबे रहे। दोपहर में मरीजों को दी जाने वाली दवाएं के लिए नर्सिग स्टाफ मोबाइल फोन की टॉर्च से रजिस्टर में आंखें गड़ाए रहा। इंजेक्शन लगाने में भी परेशानी हुई। करीब तीन घंटे बाद फाल्ट सही होने पर व्यवस्था सामान्य हो पाई।

शासन स्तर से व्यवस्था के तहत जिला अस्पताल को अबाध बिजली के लिए वर्ष 2015 से ही स्वतंत्र फीडर दिया गया है। प्रावधान है कि इस फीडर की आपूर्ति अपरिहार्य स्थितियों को छोड़कर बाधित नहीं होने देना है। मगर, रविवार को सुबह करीब 11 बजे ये प्रावधान दम तोड़ गया। अवर अभियंता सिविल लाइन उपकेंद्र रामसनेही का कहना है कि 11केवी लाइन में ओवरहेड फाल्ट हो गया था। ट्राइ लेते ही ट्रिपिंग हो जाती थी। इससे जिला अस्पताल सहित आधा दर्जन क्षेत्रों में बिजली गुल हो गई थी। करीब तीन घंटे की पेट्रोलिंग के बाद फाल्ट मिल पाया। पंचर इंसुलेटर को बदलने के बाद दोपहर बाद तीन बजे आपूर्ति सामान्य हो पाई।

इधर, इस दौरान जिला अस्पताल में इलाज को लेकर परेशानी बनी रही। वार्डों में पूरी तरह से अंधेरा छा गया। दोपहर में दवा बांटने का समय हुआ तो नर्सिंग स्टाफ के लिए समस्या बढ़ गई। मोबाइल फोन की टॉर्च से उजाला कर रजिस्टर में दर्ज दवाएं को पढ़ा जा सका, इसके आधार पर ही मरीजों को दोपहर की डोज दी गई। इंजेक्शन लगाने में भी परेशानी हुई।

'शासन स्तर से डीजल के लिए सीमित बजट जारी किया जाता है। इसलिए जनरेटर भी हर समय नहीं चला सकते। इमरजेंसी के लिए डीजल बचाकर रखना पड़ता है। बिजली आपूर्ति बाधित न हो, इसके लिए ही स्वतंत्र फीडर बनवाया गया था। मगर ये फीडर भी ऊपर होते फाल्ट की चपेट में आता रहता है। '

डॉ. आरके सागर, सीएमएस, जिला अस्पताल।

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