सूखी नहरें, महंगी सिचाई बढ़ा रही फसल की लागत
हजारा नहर में चल रहे कार्य से मुश्किल झेल रहे जिले के किसान पंप मालिकों ने बढ़ाए सिंचाई के लिए पानी के दाम।
संसू, बेवर: हजारा नहर के चौड़ीकरण कार्य ने जिले के किसानों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कार्य के कारण जिले की नहरों, माइनर में पानी ही नहीं पहुंच रहा। फसलों की सिचाई के लिए किसान निजी साधनों के इस्तेमाल को मजबूर हैं। सिचाई के पानी की इस मारामारी को देख निजी नलकूप मालिकों की चांदी हो रहे है। प्रति घंटे सिचाई की दर में 40 रुपये तक का इजाफा कर दिया गया है।
जिले में फसलों की सिचाई लोअर गंगनहर कानपुर ब्रांच, बेवर ब्रांच और इटावा ब्रांच पर निर्भर हैं। इनसे जुड़े माइनर के सहारे जिले भर में किसान पानी का उपयोग करते हैं। तीनों प्रमुख नहरों में नरौरा बैराज से निकलने वाली हजारा नहर से पानी की आपूर्ति होती है। परंतु वर्तमान में हजारा नहर के चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। इस कार्य के पूरा होने के बाद किसानों को और अधिक मात्रा में पानी मुहैया होगा। परंतु उससे पहले चौड़ीकरण कार्य के कारण हजारा नहर में जल प्रवाह 31 दिसंबर तक रोक दिया गया है। डिस्चार्ज रोके जाने से जिले के माइनरों में भी टेल तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बेवर क्षेत्र में नजर आ रहा है।
बेवर क्षेत्र में दो हजार हेक्टेयर से ज्यादा खेती, नहरी सिचाई पर ही निर्भर है। जिन इलाकों में नहर के पानी से सिचाई होती है, वहां पर सिचाई के अन्य वैकल्पिक संसाधन न के बराबर हैं। ऐसे में जो किसान तक नहर के पानी से अपने खेतों की निश्शुल्क सिचाई करते थे। अब उन किसानों को निजी डीजल पंपिग सेट से पानी खरीदना पड़ रहा है। सिचाई के लिए डिमांड ज्यादा है, ऐसे में किसान एडवांस बुकिग भी कर रहे हैं। किसानों के मुताबिक आलू की फसल की सिचाई 150-175 रुपया प्रति बीघा और गेहूं की सिचाई 200-250 रुपया प्रति बीघा तक खर्च करना पड़ रहा है। किसान पंपिग सेट से अपने खेतों तक पाइप के जरिए पानी पहुंचा रहे हैं। बढ़ गया सिचाई का खर्च
जिले में ज्यादातर किसान निजी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं करते हैं। पूर्व में निजी पंप संचालक किसानों से 130 रुपये प्रति घंटा से लेकर 145 रुपये प्रति घंटा तक शुल्क लेते थे। अब नहरों के सूखने से सिचाई के लिए लाइन लग रही है। ऐसे में पंप संचालकों ने इसकी दर बढ़ा दी है। अब वे किसानों से प्रति घंटा सिचाई के लिए 160 रुपये से 180 रुपये प्रति घंटा के हिसाब से शुल्क ले रहे हैं। जबकि एक घंटे पंप चलाने के लिए एक लीटर डीजल खर्च होता है। वर्तमान में डीजल की दर हर के किसान झेल रहे संकट
सिचाई का यह संकट बेवर, करहल, बरनाहल, जागीर, आदि ब्लाकों में सबसे ज्यादा है। माइनर दुर्जनपुर, पदमनेर, करपिया, कुलीपुर, जसननपुर, रंगपुर, भदेही, करपिया, देवीपुर, हरगनपुर, दलपतिपुर आदि नहरों में पानी न आने से प्रभावित हुए हैं। इन फसलों को है सिचाई की जरूरत
इस समय रबी का सीजन है। कहीं पलेवट होनी है तो कहीं फसलों की सिचाई। नहरी पानी से सिचित जमीन में उगी गेहूं, आलू, तोरिया, और दलहनी फसलों की सिचाई का यह अति महत्त्वपूर्ण समय चल रहा है। ऐसे में किसान सिचाई के लिए जेब ढीली करने को मजबूर है। अन्नदाता की बात
नहरों में पानी नहीं आ रहा है। खेतों में फसल तैयार है, ऐसे में सिचाई के लिए ज्यादा पैसे खर्च करना मजबूरी है।
विमलेश यादव सिचाई की मांग बढ़ते देख निजी पंप संचालकों ने भी कीमत बढ़ा दी है। इसके लिए भी दो-दो दिन पहले नंबर लगाना पड़ रहा है।
बरियार सिंह