नाम का ट्रांसपोर्ट नगर, वाहन एक भी नहीं

मैनपुरी : तीन वर्ष पहले बना ट्रांसपोर्ट नगर अब बदहाल हो गया है। न सड़क बची है न सुरक्षा की यहां व्यवस

By Edited By: Publish:Thu, 18 Dec 2014 07:03 PM (IST) Updated:Thu, 18 Dec 2014 07:03 PM (IST)
नाम का ट्रांसपोर्ट नगर, वाहन एक भी नहीं

मैनपुरी : तीन वर्ष पहले बना ट्रांसपोर्ट नगर अब बदहाल हो गया है। न सड़क बची है न सुरक्षा की यहां व्यवस्था है। हाल ये है कि अब ट्रांसपोर्टर वहां जाने से भी कतरा रहे हैं। यहां दुकानें खोलने वाले वाहन मिस्त्री भी खाली हैं।

क्षेत्रीय सांसद बलराम सिंह यादव के प्रयासों से वर्ष 1992 में नगर के आगरा रोड बाइपास पर ट्रांसपोर्ट नगर का लोकार्पण तत्कालीन जिलाधिकारी रोहित नंदन द्वारा किया गया था। इसमें शहर के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े दो दर्जन से अधिक लोगों को दुकानें आवंटित भी की गई थीं। यहां उन्होंने अपना कारोबार भी शुरू किया था। उस समय परिसर में प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी, सड़कों की व्यवस्था की गई और एआरटीओ कार्यालय भी खोला गया। कुछ समय तक सब कुछ ठीकठाक रहा। उसके बाद प्रशासन ने इस तरफ से नजरें फेर लीं। अब हालात यह हैं कि प्रशासन की उपेक्षा के चलते ट्रांसपोर्ट नगर बदहाली के दौर से गुजर रहा है। व्यापारियों की सुरक्षा को बनी पुलिस चौकी बंद पड़ी है। टूटी सड़कों पर कीचड़ भरा है। बंद दुकानों पर आवारा जानवरों का कब्जा है। कहीं-कहीं इक्का-दुक्का दुकानों में रह रहे वाहन मिस्त्री रोटी-रोजी की तलाश में दिन भर ग्राहकों का इंतजार करते हैं। रात में सुरक्षा न होने कारण शहर में ट्रांसपोर्ट का व्यवसाय आ गया है। यही कारण है कि कभी आबाद रहने वाला ट्रांसपोर्ट नगर अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।

क्या बोले लोग

ट्रांसपोर्ट नगर में लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी खोली गई लेकिन कुछ समय बाद बंद हो गई। जिससे सुरक्षा न होने के कारण लोगों ने अपना कारोबार बंद कर शहर में किराए पर जगह लेकर व्यवसाय शुरू कर दिया।

अशोक यादव, जय हनुमान ट्रांसपोर्ट कंपनी।

प्रशासन की उपेक्षा के चलते ट्रांसपोर्ट नगर की सड़कें टूटी गड््ढा युक्त कीचड़ से अटी पड़ी हैं,जिनसे खाली वाहनों का आना-जाना भी मुश्किल है ऐसे में वहां व्यवसाय करना मुश्किल है।

सत्यप्रकाश गुप्ता, गुप्ता ट्रांसपोर्ट कंपनी।

जब से ट्रांसपोर्ट नगर से ट्रांसपोर्ट का व्यापार बंद हुआ है हमारी तो रोजी ही छिन गई है। पहले अच्छा काम चलता था अब दिन में एक ग्राहक आना भी मुश्किल होता है। जिससे हम लोग भुखमरी के कगार पर हैं।

जीतू, मोटर मिस्त्री।

ट्रांसपोर्ट नगर में सड़कें बदहाल हैं दुकानें टूट रही हैं। बरसात के दिनों में काम करना तो दूर आसपास जलभराव के चलते दुकान तक आना भी मुश्किल हो जाता है। यहां काम करने वालों के लिए सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है।

सोनू, शॉकर मिस्त्री।

अराजकतत्वों के डर से शाम को सभी मिस्त्री अपना सामान लेकर घर जाते हैं। यहां आए दिन चोरी की घटना होने का डर बना रहता है।

टीटू, सीट मिस्त्री।

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