समाप्त हो रही गैस की सब्सिडी, बिगाड़ा रसोई का बजट

गैस के दाम बढ़े लेकिन कम हुई सब्सिडी उपभोक्ता परेशान

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 11:44 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 11:44 PM (IST)
समाप्त हो रही गैस की सब्सिडी, बिगाड़ा रसोई का बजट
समाप्त हो रही गैस की सब्सिडी, बिगाड़ा रसोई का बजट

महराजगंज: सरकार एक तरफ हर परिवार तक गैस मुहैया कराने की बात कहकर सभी अमीर गरीब परिवारों को गैस कनेक्शन उपलब्ध करा रही है। जबकि चुपके से पेट्रोलियम कंपनियों व सरकार ने रसोई गैस की कीमतों को बढ़ाकर सब्सिडी की कम कर दी है। वर्तमान में 765 रुपये में मिलने वाले गैस पर मात्र 62 रुपये सब्सिडी मिल रही है। जिसके कारण रसोई गैस की वास्तविक कीमत 703 रुपये पड़ रही है। बढ़ी हुई रसोई की कीमत ने गरीबों के पहुंच से दूर कर दिया है। साथ ही लोगों के रसोई का बजट भी बिगाड़ दिया है। बहुआर निवासी रामनिधि पटेल ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पहले लकड़ी, गन्ने का पत्ता सहित कई अन्य साधन थे, लेकिन गैस के उपयोग से अब सब समाप्त हो गया है। हर घर में गैस होने और निर्भरता बढ़ने के बाद गैस का दाम बढ़ना लोगों के साथ छलावा है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। ओबरी निवासी दिलीप गुप्ता ने कहा कि खाना बनाने के लिए अब लगभग सभी परिवारों की निर्भरता रसोई गैस पर हो गई है। लेकिन अचानक बढ़े गैस के दाम से लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। इतनी महंगी गैस से खाना कैसे बनेगा इसकी चिता सताने लगी है। घोड़ाहवा निवासी अशोक गौड़ ने कहा कि सरकार और कंपनियों ने चुपके चुपके रसोई गैस के दाम बढ़ा दिए। साथ ही सब्सिडी भी कम कर दी हैं। जिससे अब गैस का दाम सात सौ से ज्यादा पड़ रहा है। जो एक गरीब परिवार के लिए बहुत ज्यादा है। निचलौल निवासी शिवनाथ मद्धेशिया का कहना है कि सरकार और तेल कंपनियों के मिलीभगत में गरीब मजदूर परेशान हो रहा है। पहले लकड़ी व अन्य ईंधन के साधन से लोगों को दूर कर दिया गया और अब गैस के दाम बढ़ा दिए गए हैं। ऐसे में गरीबों के घर चूल्हे कैसे जलेंगे। गैस कंपनियों ने निर्धारित मूल्य लेना हमारी मजबूरी है। गैस सब्सिडी देना सरकार की जिम्मेदारी है। जो सब्सिडी सरकार निर्धारित करेगी। वह स्वयं उपभोक्ताओं के खाते में चला जाएगा।

मोहर्रम अली, गैस एजेंसी कर्मी

chat bot
आपका साथी