अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू

नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के विशेष सचिव अशोक कुमार श्रीवास्तव ने अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों के संबंध में आवेदन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Mon, 24 Jul 2017 08:20 PM (IST) Updated:Mon, 24 Jul 2017 08:44 PM (IST)
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू
अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू

लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। सरकार ने अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे हैं। योगी सरकार के गठन के बाद आयोग के अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने अप्रैल के पहले हफ्ते में ही इस्तीफा दे दिया था जबकि सात सदस्यों के भी पद खाली हैं।


संविधान के अनुच्छेद 200 के अधीन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अधिनियम, 2014 अधिसूचित किया गया है। इस अधिनियम में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान है। उप्र में अध्यक्ष के एक और आठ सदस्यों के पद स्वीकृत हैं। सिर्फ एक सदस्य बबिता लाठर ने अभी तक त्यागपत्र नहीं दिया है। बाकी सभी पद खाली हैं। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग के विशेष सचिव अशोक कुमार श्रीवास्तव ने अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों के संबंध में आवेदन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। आवेदन का प्रारूप विभागीय वेबसाइट पर उपलब्ध करा दिया गया है। यह आवेदन अपर मुख्य सचिव नियुक्ति के शास्त्री भवन स्थित कार्यालय में प्रेषित करना है। आवेदन पत्र नियुक्ति की वेबसाइट पर निर्धारित तिथि एवं समय के अन्तर्गत आनलाइन भी प्रेषित करने हैं। विशेष सचिव का कहना है कि यह आवेदन 17 अगस्त की शाम पांच बजे के पहले हर हाल में भेज दिए जाएं। इसके बाद आवेदन स्वीकार नहीं होंगे।

सरकार घटा सकती है सदस्यों का पद
पिछली सरकार में उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के आठ पद निर्धारित किए गए थे। मौजूदा सरकार सदस्यों के पद घटा सकती है। यद्यपि सरकार ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि सदस्य के कितने पदों पर नियुक्ति की जानी है लेकिन, यह संकेत मिल रहे हैं कि यह पद कम होंगे। इसकी वजह यह है कि सरकार समूह ग और घ की भर्तियों से साक्षात्कार समाप्त करने जा रही है। इसके अलावा समूह ख में भी नान गजटेड के पदों पर साक्षात्कार नहीं होना है। इस व्यवस्था के लागू होने से आयोग में काम कम हो जाएगा। इस वजह से सदस्यों के पद घटाए जाने की बात चल रही है।
 

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