Indo-Nepal tension: भारत-नेपाल के बीच 766 और 742 नंबर पिलर बना विवाद, ये है पूरा मामला

Indo-Nepal tension गायब हैं अंतरराष्ट्रीय सीमा के निशान सर्वे के बाद स्पष्ट होंगी स्थितियां।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 16 Jun 2020 05:10 PM (IST) Updated:Tue, 16 Jun 2020 06:04 PM (IST)
Indo-Nepal tension: भारत-नेपाल के बीच 766 और 742 नंबर पिलर बना विवाद, ये है पूरा मामला
Indo-Nepal tension: भारत-नेपाल के बीच 766 और 742 नंबर पिलर बना विवाद, ये है पूरा मामला

लखीमपुर, (श्वेतांक शंकर उपाध्याय)। Indo-Nepal tension: भारत-नेपाल सीमा को बांटने के लिए लगाए गए पिलर बड़ी संख्या में क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन नया विवाद मिर्चिया के 766 और सूडा के 742 नंबर के पिलर को लेकर है। दोनों देशों के अधिकारी दोनों पिलरों को लेकर अड़े हुए हैं और अपना-अपना कब्जा बता रहे हैं। दोनों जगहों पर सीमांकन पिलर गायब होने पर एसएसबी और नेपाल के एपीएफ ने संयुक्त रूप से गश्त भी किया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। अब सर्वे के बाद ही सीमा पर स्थित स्पष्ट होने की उम्मीद जताई जा रही है।

यह बात किसी से नहीं छिपी है कि सीमा पर नेपाली नागरिकों ने नो-मैंस लैंड के साथ ही भारत की तरफ 50 से 60 मीटर अंदर तक खेती की जा रही है। जिसके कारण 125 किमी. सीमा पर खीरी क्षेत्र में 30 फीसद तक पिलर गायब हैं। दोनों देशों के जिला अधिकारियों के बीच सीमा विवाद पर गौरीफंटा में वार्ता में मिर्चिया और सूडा दोनों जगहों के पिलरों के क्षतिग्रस्त होने का मुद्दा उठा। तय हुआ कि संयुक्त सर्वे ही पूरे विवाद का हल है, इसलिए अधिकारी सर्वे पर राजी हो गए हैं।

सुलझ जाएगा व‍िवाद

एसएसबी और जिला प्रशासन को उम्मीद है कि वह विवाद को सुलझा लेंगे, लेकिन नो-मैंस लैंड पर दशकों से खेती कर रहे नेपाली नागरिकों से कब्जा खाली कराना आसान नहीं है, क्योंकि अभी तक दोनों देशों के बीच हर वर्ष दो बार जिला स्तरीय अधिकारियों के बीच बैठकें होती रही हैं। कभी सर्वे के बाद नेपाल द्वारा भारतीय पक्ष की जमीन खाली करने का वाकया सामने नहीं आया है।

पहले भी सीमा पर कब्जे का किया है प्रयास

इससे पूर्व बसही के पिलर संख्या 199 के निकट झोपड़ी बनाकर कब्जा करने का प्रयास किया गया था। जहां से भारतीय वन विभाग, प्रशासन के अधिकारियों ने नेपाली अधिकारियों से वार्ता कर मौके से झोपड़ियों को हटवाया। इसके बावजूद घोला-कैमा ब्रिज की तरफ नेपाली नागरिकों ने कब्जे का प्रयास किया।

जिम्मेदार की सुनिए

39वीं वाहिनी के कमांडेंट मुन्ना सिंह कहते हैं कि लिपुलेख और कालापानी जैसा यहां विवाद नहीं है। ये दोनों पिलर मोहाना नदी के पास पड़ते हैं और यहां सीमा पिलर जैसे निशान नहीं हैं। एसएसबी और नेपाल की एपीएफ भी यहां गश्त करती है। इसलिए दिक्कत से पहले विवाद सुझलाने की कोशिश की जा रही है।  

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