नहर के पानी से निकलेगा सोना, ऊसर भूमि में भी होगी अच्‍छी पैदावार Lucknow News

लखनऊ में अब नहर किनारे ऊसर हुए खेत में फिर से लहलहाएगी फसल। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान ने रिसर्च कर तैयार किया मॉडल।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 31 Oct 2019 10:58 AM (IST) Updated:Thu, 31 Oct 2019 10:58 AM (IST)
नहर के पानी से निकलेगा सोना, ऊसर भूमि में भी होगी अच्‍छी पैदावार Lucknow News
नहर के पानी से निकलेगा सोना, ऊसर भूमि में भी होगी अच्‍छी पैदावार Lucknow News

लखनऊ  [जितेंद्र उपाध्याय]। यदि आप किसान हैं और नहर के किनारे ऊसर हुए खेत को लेकर आप परेशान हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। इस जमीन पर आप बहुविकल्पीय खेती करके मालामाल हो सकते हैं। ऐसी ऊसर भूमि से फसल रूपी सोने की पैदावार हो सकती है। केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के पुरानी जेल रोड स्थित क्षेत्रीय केंद्र ने रिसर्च कर ऐसा मॉडल तैयार किया है जिससे किसानों की परेशानी दूर हो जाएगी। राजधानी के समेसी स्थित पटवाखेड़ा गांव में केंद्र की ओर से मॉडल तैयार किया गया और अब उसे किसान संचालित कर रहे हैं। इस मॉडल को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा गया है जिससे किसानों को इस पर सब्सिडी मिल सके और बंजर जमीन उपजाऊ हो जाए। 

क्या है मॉडल: केंद्र की ओर से मोहनलालगंज के समेसी स्थित पटवाखेड़ा गांव के घसीटे, दिनेश, जितेंद्र सिंह व कलावती के खेतों पर मॉडल तैयार किया गया। शारदा नहर के किनारे इनकी 0.6 हेक्टेयर जमीन को सुधारने में एक साल लग गए। एक साल के बाद आधी जमीन पर तालाब और आधे में बहुफसली खेती शुरू हुई। तालाब के बगल में सब्जी की बोआई शुरू हुई। जिस जमीन पर कुछ नहीं पैदा हो रहा था, उस जमीन को उपजाऊ बनाने के साथ ही उसमें फसल की पैदावार शुरू हो गई। किसान प्रति हेक्टेयर एक से डेढ़ लाख की आमदनी कर रहे हैं। 

दो लाख हेक्टेयर जमीन है बेकार: राजधानी समेत प्रदेश में नहर के किनारे जल जमाव या ऊसर की वजह से दो लाख हेक्टेयर खेत बंजर पड़े हैं। किसानों की जमीन होने के बावजूद वह उसमें कुछ नहीं कर पाते।

केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के हेड (क्षेत्रीय संस्थान) डॉ.वीके मिश्र ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में ऊसर भूमि को सुधारने के बाद प्रदेश में 1999 से ऊसर भूमि को सुधारने का कार्य शुरू हुआ। नहर के किनारे की जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए संस्थान के कृषि वैज्ञानिकों ने करनाल के मॉडल पर पिछले वर्ष राजधानी में रिसर्च शुरू किया था। इसके सार्थक परिणाम आने के बाद अब इसे कृषि विकास योजना के तहत प्रदेश के सभी जिलों में लागू करने के लिए कृषि विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है। 

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