सपा में कलह के आसार बढ़े, मुलायम ने विधायकों के साथ बैठक टाली

समाजवादी कुनबे में 'महासंग्राम छिड़ा और अब पार्टी की कमान को लेकर नए सिरे से कलह की आशंका हो गई है। आज अखिलेश गुट ने बैठक बुलाई थी जिसमें न मुलायम पहुंचे और न ही शिवपाल और अाजम।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Tue, 28 Mar 2017 01:42 PM (IST) Updated:Tue, 28 Mar 2017 03:37 PM (IST)
सपा में कलह के आसार बढ़े, मुलायम ने विधायकों के साथ बैठक टाली
सपा में कलह के आसार बढ़े, मुलायम ने विधायकों के साथ बैठक टाली

लखनऊ (जेएनएन)। पहले सत्ता-संगठन में वर्चस्व को लेकर समाजवादी कुनबे में 'महासंग्राम' छिड़ा और अब पार्टी की कमान को लेकर नए सिरे से कलह की आशंका हो गई है। आज अखिलेश गुट ने बैठक बुलाई थी जिसमें न मुलायम पहुंचे और न ही शिवपाल और अाजम। इसके अलावा कल होने वाली मुलायम सिंह गुट की बैठक भी फिलहाल निरस्त कर दी गई है। कुनबे में झगड़े की बात को इसलिये भी बल मिल रहा है क्योंकि कि अखिलेश जहां विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष चुनने का अधिकार दिया गया है, तो रामगोविंद चौधरी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किये गये हैं। जवकि मुलायम अाजम खान को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते थे। 
परिवार में कलह का ही परिणाम है कि अपने गठन के बाद के सबसे निचले पायदान पर सपा पहुंच चुकी है। उसके सिर्फ 47 विधायक जीत सके। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के चयन को लेकर कुनबे में फिर दांव-पेंच शुरू हुआ। मुलायम-शिवपाल यादव खेमा आजम खां को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाह रहा था। संभवत: उनके पक्ष में विधायकों का मन बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने नव निर्वाचित विधायकों को 29 मार्च को आमंत्रित किया है, मगर अखिलेश यादव ने विधान मंडल की बैठक में विधायकों से मिले अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए 27 मार्च को ही राम गोविंद चौधरी को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त कर दिया। यादव मंगलवार को विक्रमादित्य मार्ग स्थित पार्टी कार्यालय में विधायकों के साथ बैठक करेंगे।

राम गोविंद चौधरी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, सपा ने बुलाई बैठक 

मुलायम द्वारा आयोजित बैठक से पूर्व नेता प्रतिपक्ष नियुक्त किया जाना मौजूदा सियासी परिस्थितियों में अखिलेश यादव का दूरगामी सियासी दांव हो सकता है, मगर परिवार के अंदर सुलग रही कलह की लौ को हवा देना वाला हो सकता है। मुलायम-शिवपाल को विश्वास में लिये बिना सपा के संविधान में संशोधन भी रार का एक कारण बन सकता है। तर्क यह भी है कि चुनाव के समय अखिलेश यादव ने कहा था कि 'तीन महीने का समय मांगा है, सरकार बनाकर सभी पद, अधिकार नेताजी को सौंप दूंगा। अखिलेश उस वादे को पूरा नहीं कर पाए। अलबत्ता सपा के संविधान में संशोधन कर नए पद सृजित कर दिये गये। इन निर्णयों को जोड़कर यह कहा जा रहा है कि सितंबर में कुनबे में हुए संग्राम के दौरान 'कूटनीतिक दूत की भूमिका निभाने वाले आजम खां इस बार तटस्थ रह सकते हैैं। इससे अखिलेश के फैसलों से नाखुश धड़े को बल मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस बार कलह अगर सड़क पर आई तो परिवार के कुछ सदस्य नए सियासी दरवाजे खटखटा सकते हैैं।

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निकल सकती है नई धारा
समाजवादी पार्टी के राजनीतिक निर्णय में जिस तरह से शिवपाल यादव की भूमिका खत्म हो रही है और सियासी लड़ाई भावनाओं को आहत करने लगी है, उससे मुलायम सिंह यादव के कुनबे से जल्द कोई नई सियासी धारा निकल सकती है। यह सिर्फ कयास इसलिए भी नहीं है क्योंकि सात मार्च को मुलायम की पत्नी साधना गुप्ता ने कहा था कि 'नेताजी व मेरा बहुत अपमान हुआ है। शिवपाल के साथ अन्याय हो रहा है। अब कदम पीछे नहीं करेंगे। दो दिन पहले मुलायम के छोटे बेटे प्रतीक यादव व उनकी छोटी बहू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात थी।

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