Ram Mandir Ayodhya Update: भूकंप भी नहीं हिला पाएगा राम मंदिर की नींव, खड़ा रहेगा हजार साल

Shri Ram Mandir Ayodhya उत्तर भारत की नागर शैली को ध्यान में रखकर तैयार किया गया लेआउट। 67 एकड़ क्षेत्र में बाकी परिसर होगा दो एकड़ में विराजेंगे रामलला और उनका परिवार।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 28 Jul 2020 07:35 AM (IST) Updated:Tue, 28 Jul 2020 04:21 PM (IST)
Ram Mandir Ayodhya Update: भूकंप भी नहीं हिला पाएगा राम मंदिर की नींव, खड़ा रहेगा हजार साल
Ram Mandir Ayodhya Update: भूकंप भी नहीं हिला पाएगा राम मंदिर की नींव, खड़ा रहेगा हजार साल

लखनऊ [अंकित कुमार]।Shri Ram Mandir Ayodhya: राममंदिर कई मामलों में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना होगा। भव्य भवन पूर्व के उन तमाम कटु अनुभवों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा, जिनका सामना पूर्व में करना पड़ा। भविष्य में मंदिर पर कोई आंच न आए इसलिए गुणवत्ता और मुश्किलें सहने की क्षमता खास होगी। यही वजह है, आकार-प्रकार में तमाम बदलाव के बाद भी सदियों के संघर्ष का गवाह यह मंदिर भविष्य में एक हजार वर्षों तक गौरव का अहसास कराने के लिए तनकर खड़ा रहेगा। बड़ा से बड़ा जलजला उसका बाल बांका नहीं कर पाएगा। भवन का डिजाइन रिएक्टर स्केल पर आठ से 10 तक तीव्रता वाला भूकंप आसानी से झेल जाएगा। मंदिर के वास्तुकार आशीष सोमपुरा ने दैनिक जागरण से बातचीत में सोमनाथ मंदिर का उदाहरण पेश करते हुए कई अनछुए पहलु साझा किए और आशंकाओं पर विराम लगाया...। 

उल्लेखनीय है कि भक्तों-संतों की आकंक्षा- इच्छा ध्यान में रखते हुए मंदिर के स्वरूप को बेशक भव्य रूप में परिवर्तित कर दिया गया है मगर, भूमि पूजन से पहले प्रभु राम की महिमा की तरह उनके भावी भवन की तमाम रोचक जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं। साथ ही प्रयोग किए जा रहे पत्थर, दुनिया के अन्य मंदिरों से तुलना समेत कई दुविधाएं भी सिर उठा रही हैं जिनका समाधान सोमपुरा ने किया है। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित राम मंदिर उत्तर भारत की प्रचलित शैली नागर से निर्मित होगा। उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब हिमाचल, जम्मू आदि में स्थापित सभी मंदिर इसी शैली के हैं। वास्तव में यह हमारी क्षेत्रीय पहचान है मगर, धार्मिक पहलू भी हैं। उत्तर भारत में भगवान के सबसे  सबसे ऊंचे दर्जे को ध्यान में रखते हुए सभी मंदिरों में उनका वास स्थल भव्य बनाया जाता है। जबकि प्रवेश द्वार छोटा रहता है। वहीं दक्षिण में इंट्री गेट (गोपुरम) को काफी बड़ा रखा जाता है और भगवान का वास स्थल छोटा रहता है। वहां मान्यता है कि भगवान सूक्ष्म की तरफ जा रहे हैं, इसलिए उनका वास स्थल भी वैसा ही रहे। दुनिया में अन्य मंदिरों के मुकाबले राममंदिर कहां खड़़ा है  ? आशीष बोले,  सदियों बाद आए शुभ अवसर पर आकार की तुलना बेमानी है। इतना यकीन दिलाते हैं कि एक नजर में देखने पर यह देश का सबसे भव्य मंदिर प्रतीत होगा। टिकाऊ होगा, जिसके लिए 200 फीट की खोदाई कर मिट्टी टेस्ट की गई है। इतना ही नहीं, एक बार में सिर्फ मंदिर भवन में 10 हजार से अधिक श्रद्धालु समाहित होकर रामलला के दर्शन कर पाएंगे।

 पत्थरों के सवाल पर विराम 

मंदिर निर्माण के लिए कई साल से पत्थऱ तराशी चल रही है मगर, उनकी गुणवत्ता को लेकर सवाल उठते रहे हैं? इस मुद्दे पर आशीष ने कहा कि कार्यशाला में जो पत्थर तराशे हुए रखे हैं, उनका ही इस्तेमाल होगा। इन्हें राजस्थान के बंशीपुर पहाड़ क्षेत्र से लाया गया है। इन्हें बलुई पत्थर (सेंड स्टोन) कहते हैं। अपनी कैटेगरी में यह सबसे बेहतर क्वालिटी का पत्थर है मगर मार्बल से तुलना में नहीं हैं। वह ज्यादा बेहतर होता है। फिर भी हमने इसका तोड़ निकाला है। भविष्य में पानी रिसाव और रंग बदलने की दिक्कत को केमिकल कोडिंग से दूर कर रहे हैं। यह पूरी तरह सुरक्षित और लंबी आयु तक टिकेगा। वे कहते हैं, अक्षरधाम मंदिर भी इन्हीं पत्थर से गढ़ा गया है। 

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आशीष सोमपुरा बताते हैं कि करीब पांच सौ साल तक मंदिर के लिए संघर्ष चला, जिसका ध्यान मंदिर निर्माण में रखा गया है। इसीलिए हमने इस तरह डिजाइन तैयार किया ताकि संघर्ष की अवधि से दूना यानी करीब हजार साल तक यह मंदिर अपनी भव्यता और स्थापत्य कला का अहसास कराता रहेगा। भारत में खजुराहो का उदाहरण देते हुए बोले- इसे 800 साल हो चुके हैं, मंदिर वैसा ही खड़ा है।  कंबोडिया के अंकोरवाट  समेत कई मंदिर तो इससे भी ज्यादा पुराने हैं। आशीष कहते हैं कि मंदिर मजबूत बने, इसके लिए नीव अहम है। साथ ही मिट्टी की सटीक पहचान होना भी जरूरी है।  इसे ध्यान में रखते हुए हमने दौ सौ फीट खुदाई करके मृदा परीक्षण किया है। उसकी रिपोर्ट आने के बाद ही नीव की गहराई तय होगी। 

 

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लागत का अनुमान नहीं 

मंदिर पर लागत कितनी आएगी, इस पर आशीष बताते हैं कि अभी कुछ भी कहना संभव नहीं है। डिेटेल प्रोजेक्ट तैयार होना बाकी है। ट्रस्ट पदाधिकारियों के साथ उसे अंतिम रूप दिया जाना है। उसके बाद मंदिर परिसर पर मंथन होगा कि वह कैसे तैयार हो। क्या-क्या बनेगा। हम सिर्फ मंदिर तैयार करेंगे। 

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 रिएक्टर स्केल थ्री में अवध 

भूकंप के लिहाज से उत्तर प्रदेश संवेदनशील जोन- 4 में आता है मगर अयोध्या समेत अवध का यह हिस्सा जोन थ्री में हैं। बाकी हिस्से की अपेक्षा खतरा यहां कुछ कम है। इसीलिए राममंदिर को रिएक्टर स्केल मापन पर आठ से 10 तक का भूकंप सहने लायक बनाया गया है। 


पूरी होने को साध  एक बार में मंदिर के भीतर क्रमबद्ध 10 हजार श्रद्धालु कर पाएंगे दर्शन-पूजन   खाली परिसर में कहां क्या बनेगा, यह मंदिर ट्रस्ट करेगा अंतिम निर्णय 

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