Coronavirus Lockdown 4: मैं PGI से बोल रही हूं ....कैसे हैं आप, कुछ इस तरह डॉक्टर रख रहे मरीज का ख्याल

Coronavirus Lockdown 4 लॉकडाउन के बाद पीजीआइ ने मरीज का ख्याल रखने के लिए निकाली राह। खुद डॉक्टर फोन कर दे रहे हैं सलाह।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Wed, 13 May 2020 11:04 AM (IST) Updated:Wed, 13 May 2020 03:34 PM (IST)
Coronavirus Lockdown 4: मैं  PGI से बोल रही हूं ....कैसे हैं आप, कुछ इस तरह डॉक्टर रख रहे मरीज का ख्याल
Coronavirus Lockdown 4: मैं PGI से बोल रही हूं ....कैसे हैं आप, कुछ इस तरह डॉक्टर रख रहे मरीज का ख्याल

लखनऊ [कुमार संजय]। Coronavirus Lockdown 4: हेलो... क्या है यह श्रेया जी का नंबर है।  जी हां मै उनका बेटा बोल रहा हूं । मै संजय गांधी  पीजीआई से डा. रजत बोल रही हूं। आज आप के मम्मी को पीजीआई में दिखाने के लिए डेट मिली थी... जी हां डेट मिली थी.. लेकिन लॉकडाउन के कारण नहीं आ पाया । कोई बात नहीं दवा का पर्चा हाथ में लीजिए बताए क्या दवा चल रही है। दवा का नाम जो समझ में आया बेटे ने  बताया सुनने के बाद डॉ. रजत समझ गयी क्या दवा चल रही है। अब  डॉ. रजत ने बताना शुरू किया फला दवा इतने मिली ग्राम दो बार ले रही है और यह दवा एक बार ले रही है उधर से हां की आवाज आने के बाद डा. रजत ने पूछा आरामा है ... हां आराम है लेकिन दर्द में आरामा थोड़ा कम है । डॉ. रजत ने बताया कि इस दवा को चार दिन खा कर बंद कर दें। इस बीच नजदीक के पैथोलाजी से प्लेटलेट्स और टीएलसी की जांच करवा लें। आप दिखाने की अगली डेट भी नोट कर लें। यदि खुल जाएगा तो आ जाना नहीं तो फिर हम आप से इस डेट पर बात करेंगे। यह सीन है टेली ओपीडी का जो संजय गांधी पीजीआई का क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग लाक डाउन के बाद 16 मार्च से लगातार चला रहा है।

एक दिन पहले हो जाती है तैयारी

फालोअप जो जिनको डेट मिली है वह लिस्ट विभाग के डॉक्टर एक दिन पहले ले लेते है। फिर हास्पिटल इंफारमेशन सिस्टम पर जा कर मरीज का पंजीकरण नंबर डालकर फोन नंबर लिख लेते है। इसके बाद लिस्ट को आपस में बाट लेते है। डॉक्टर अपने फोन से मरीज के नंबर पर फोन करते है। इस तरह रोज 40 से 50 मरीज जिनकी दिखाने का डेट होती है उन्हों फोन से सलाह दी जाती है। जिसमें कोई गंभीर परेशानी होती है उन्हे कहते है कि नजदीक के डॉक्टर के पास जाकर बात कराएं । डॉक्टर उस डॉक्टर को सलाह देते है जिससे वह वहीं इलाज करते है।

कई के नंबर बंद होते है कई के फोन दूसरे के पास होते हैं 

वैसे तो रोज 200 से 250 फालोअप केस होते है लेकिन कई के फोन बंद होते है। कई के फोन घर के दूसरे सदस्यों के पास होते है जिससे बात नहीं हो पाती है। इससे सबसे बात नहीं हो पाती है लेकिन एचआईएस पर जो नंबर होता है उस काल सबको करते है।   

क्या कहते हैं विभागाध्यक्ष ? 

एसजीपीजीआइ क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो. अमिता अग्रवाल के मुताबिक, इच्छा शक्ति हो तो किसी भी परिस्थिति से निपटने का विकल्प निकाला जा सकता है। हमारे विभाग में आटो इम्यून  डिजीज के मरीज होते है । यह बीमारी  कई तरह की होती है। इलाज के लिए चल रही दवा एक दिन भी बंद होने से सारी मेहनत फेल होने की आशंका रहती है। इस लिए लाक डाउन के तुरंत बाद यह रास्त निकाला।  जिससे अब तक एक हजार से अधिक अपने मरीजों को सलाह दे चुके है... 

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