वरिष्ठ रंगकर्मी पद्मश्री राज बिसारिया का निधन, लंबे समय से चल रहा था इलाज
लखीमपुर खीरी में 10 नवंबर 1935 को जन्मे राज बिसारिया ने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। वह अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर भी रहे हैं। उन्होंने 1962 में लखनऊ विश्वविद्यालय में थिएटर ग्रुप बनाया था। 1966 में थिएटर आर्ट्स वर्कशाप की स्थापना की थी। वह गले के कैंसर से पीड़ित थे। लंबे समय से उनका उपचार चल रहा था। राज बिसारिया को सांस लेने में भी तकलीफ थी।
जागरण संवाददाता, लखनऊ। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी पद्मश्री राज बिसारिया का निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार शाम विशालखंड, गोमतीनगर में अपने घर पर अंतिम सांस ली। वह गले के कैंसर से पीड़ित थे। लंबे समय से उनका उपचार चल रहा था।
राज बिसारिया को सांस लेने में भी तकलीफ थी। सीने में दर्द की भी शिकायत रहती थी। तीन वर्ष पहले मेदांता अस्पताल में उनकी एंजियोप्लास्टी की गई थी। वह इन दिनों अस्वस्थ थे। उनका उपचार संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान से चल रहा था।
दो-तीन दिन पहले अस्पताल से घर लाया गया था। उनकी हालत लगातार नाजुक बनी थी। पहले वह लालबाग में नावेल्टी सिनेमा हाल के पास रहते थे। कुछ वर्षों पूर्व विशाल खंड, गोमतीनगर में अपने नए मकान में आए थे। यहां वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनकी बेटी अमेरिका में रहती हैं। वह भारतेंदु नाट्य अकादमी के संस्थापक निदेशक रहे। उन्होंने भारतेंदु नाट्य अकादमी में 23 सितंबर 1975 से 10 सितंबर 1989 तक अपनी सेवाएं दीं।
इन्होंने अंग्रेजी नाटकों से रंगमंच को एक अलग पहचान दी। हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही माध्यमों से रंगमंच को समृद्ध किया। लखीमपुर खीरी में 10 नवंबर 1935 को जन्मे राज बिसारिया ने लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यापन किया। वह अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर भी रहे हैं। उन्होंने 1962 में लखनऊ विश्वविद्यालय में थिएटर ग्रुप बनाया था। 1966 में थिएटर आर्ट्स वर्कशाप की स्थापना की थी।