विधायकों से ज्यादा सुविधा पाते हैं दर्जा प्राप्त मंत्री
लखनऊ(परवेज अहमद)। बड़ी मेहनत कर गली-गली धूल फाकते हैं, ताने सुनते हैं। जोड़-तोड़ से जनसेवा तक

लखनऊ(परवेज अहमद)। बड़ी मेहनत कर गली-गली धूल फाकते हैं, ताने सुनते हैं। जोड़-तोड़ से जनसेवा तक में कसर नहीं छोड़ते, तब कहीं जाकर जनप्रतिनिधि (विधायक) का खिताब पाते हैं, फिर भी सरकारी प्रतिनिधियों के जलवे-जलाल के आगे वह बिल्कुल फीके रहते हैं।
प्रदेश सरकार अब तक 84 लोगों को निगमों का चेयरमैन, सलाहकार और अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट, राज्य व उपमंत्री का दर्जा दे चुकी है। इनमें कई दर्जाधारी दफ्तर व अधिकार पाने के लिए विभागीय मंत्री के साथ संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन लालबत्ती कार के साथ पिस्तौल, रायफल और कारबाइन से लैस जवान जरूर मुस्तैद हैं। सूबे के प्रत्येक जिले में एक और कई जिलों में दो से तीन तक दर्जाधारी मंत्री हैं। एक विधायक का कहना है कि दर्जा प्राप्त लोगों की जनता में कोई जवाबदेही होती नहीं है, फिर अधिकारी भी सत्ताशीर्ष का करीबी मानते हुए उन्हें विधायकों से ऊपर मानते हैं। ऐसे में हर समय जनता के बीच रहने वाले विधायकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अधिकारी भी विधायकों के कार्य के स्थान पर दर्जाधारी मंत्रियों की सिफारिश को च्यादा तवच्जो देते हैं। सत्तारूढ़ दल के ही एक दूसरे विधायक का कहना है कि हाई कोर्ट ने लालबत्ती हटाने का आदेश देकर अच्छा कार्य किया है। इससे क्षेत्र में कम से कम विधायक की गरिमा तो बनी रहेगी।
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