वेस्ट यूपी तक पहुंचा मुंगेर के असलहा तस्करों का नेटवर्क

उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) सूबे में अवैध असलहों के कारोबारियों का नेटवर्क तोडऩे में जुटी है। बिहार के मुंगेर से असलहा का कारोबार करने वाले गोरखपुर के ïतस्करों की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ को कई अहम सुराग मिले हैं। पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 23 Feb 2015 06:03 PM (IST) Updated:Mon, 23 Feb 2015 06:07 PM (IST)
वेस्ट यूपी तक पहुंचा मुंगेर के असलहा तस्करों का नेटवर्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) सूबे में अवैध असलहों के कारोबारियों का नेटवर्क तोडऩे में जुटी है। बिहार के मुंगेर से असलहा का कारोबार करने वाले गोरखपुर के ïतस्करों की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ को कई अहम सुराग मिले हैं। पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक इनका नेटवर्क फैला है। हार्डकोर अपराधियों से लेकर स्कूली छात्र भी इनके खरीददार हैं।

बिहार के मुंगेर के अलावा मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में तैयार हो रहे अवैध असलहों की आपूर्ति का उत्तर प्रदेश सबसे बड़े बाजार के रूप में उभरा है। एसटीएफ को बीते वर्षों में कई अहम उपलब्धियां मिलीं लेकिन नेटवर्क को तोड़ पाना आसान नहीं रहा। एसटीएफ के आइजी सुजीत पाण्डेय गोरखपुर में अजय सिंह और धर्मवीर की गिरफ्तारी को एक बड़ी कड़ी बताते हैं। गोरखपुर के उरुवा क्षेत्र के अयूब ने ही इनका संपर्क मुंगेर में कराया और उसके पश्चिमी उप्र में भी ताल्लुकात बताए जाते हैं। मुंगेर में बने असलहों की बड़ी खासियत यह है कि उसकी फिनिशिंग अच्छी होती है। उस पर मेड इन यूएसए या अन्य विदेशी मुहर लगी होने से उसके विदेशी होने का भ्रम होता है। 15 से 25 हजार रुपये में आसानी से उपलब्ध हो जाने और फायर पावर भी ठीक होने से ज्यादातर लोग इसको प्राथमिकता देते हैं।

आइजी ने बताया कि इन तस्करों से पूछताछ में पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक के संजाल की जानकारी मिली है। गौर करें तो बिहार के मुंगेर से असलहों की आपूर्ति अरसे से हो रही है लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दंगों के बाद इनके कारोबार में तेजी आयी है। सूत्रों के मुताबिक मुजफ्फरनगर और पास के जिलों में बड़े पैमाने पर मुंगेर के बने असलहे बेचे गए हैं। बताते हैं बिहार से दिल्ली चलने वाली ट्रेनों से जाकर ये लोग आपूर्ति करते हैं और इसके लिए इनकी श्रेणी बनाई गयी है। अनुभवी एजेंटों को दर्जन भर से ज्यादा असलहे सप्लाई के लिए दिए जाते हैं जबकि नये एजेंटों को शुरू में एक दो असलहे ही दिए जाते हैं। ज्यादातर आपराधिक इतिहास वाले ही इस धंधे में शामिल होते हैं लेकिन अब छात्रों को भी आजमाया जाना लगा है।

एसटीएफ पहले पकड़े गए तस्करों से मिली जानकारी और ताजा जानकारी की कड़ी से कड़ी जोडऩे में जुटी है। आइजी का दावा है कि बहुत जल्द एसटीएफ असलहा तस्करों के एक बड़े रैकेट का राजफाश करेगी।

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