ऑनलाइन नक्शे पास करने में फिसड्डी साबित हो रहा लखनऊ व‍िकास प्राधिकरण Lucknow news

अवैध निर्माण आसान वैध निर्माण मुश्किल चार माह में एलडीए में 500 की जगह पास हुए बस 65 नक्शे। मकान बनवाने वालों से लेकर आर्किटेक्ट तक हो रहे परेशान।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 17 Jan 2020 01:58 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jan 2020 01:58 PM (IST)
ऑनलाइन नक्शे पास करने में फिसड्डी साबित हो रहा लखनऊ व‍िकास प्राधिकरण Lucknow news
ऑनलाइन नक्शे पास करने में फिसड्डी साबित हो रहा लखनऊ व‍िकास प्राधिकरण Lucknow news

लखनऊ, (ऋषि मिश्र)। पिछले चार महीने में हालात कुछ ऐसे हुए हैं कि एलडीए के क्षेत्र में अवैध निर्माण करना आसान हो गया और वैध मुश्किल। अभियंता-बिल्डर गठजोड़ जमकर अवैध निर्माण करवा रहा है, मगर वैध निर्माण के लिए नक्शा तक पास करवा पाना टेढ़ी खीर साबित होता जा रहा है। पिछले करीब चार महीने में करीब 65 मानचित्र ही हाल ही में शुरू किए गए ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल प्लान के तहत पास किए जा सके हैं। इससे पहले पुरानी व्यवस्था चार महीने में कम से कम 500 नक्शे पास हुआ करते थे। न तो नक्शे नए सॉफ्टवेयर में स्वीकार हो पा रहे हैं और न ही प्रक्रिया में तेजी से स्वीकृति हो रही है। एलडीए अफसर, आर्किटेक्ट और सबसे अधिक आवंटी परेशान हो रहे हैं।

ऑनलाइन बिल्डिंग अप्रूवल प्लान लागू हुए करीब चार माह बीत गए हैं। इसके पहले एक महीने में केवल 13 नक्शे पास हुए थे। बाद में कुछ रफ्तार बढ़ी तो चार महीने बीतने पर 65 मानचित्र पास कर दिए गए हैं। एलडीए के एक अधिकारी ने बताया कि सिस्टम बहुत अच्‍छे तरीके से काम नहीं कर रहा है। आर्किटेक्ट को बहुत अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी ने बताया कि एक महीने में पहले छोटे बड़े मिलाकर करीब 100 मानचित्र पास हो जाया करते थे, मगर अब ऐसे हालात आ गए हैं कि एक दिन में भी एक नक्शा पाना होने में समस्याएं सामने आ रही हैं। अलीगंज निवासी सेतु निगम के एक अभियंता ने बताया कि उनका मानचित्र लंबे समय से पास नहीं हो पा रहा है, वे बहुत परेशान हैं। ऐसे ही अनेक लोगों की परेशानी मानचित्रों को लेकर बनी हुई है।

'नई व्यवस्था को नहीं समझ पा रहे आर्किटेक्ट'

इस व्यवस्था का संचालन कर रही कंपनी सॉफ्टेक इंजीनियर्स एंड अभिषेक इन्फोसिस्टम प्रा.लि. के मैनेजर ऑपरेशंस प्रकाश आनंद ने बताया कि सिस्टम नया है। धीरे धीरे बेहतर काम करेगा। मगर गलती आर्किटेक्ट की भी है, वे इस व्यवस्था को नहीं समझ पा रहे हैं।

'व्यवस्था शुरू करने से पहले आर्किटेक्ट से बात ही नहीं की'

आर्किटेक्ट अनुपम मित्तल इस बात से इन्कार करते हैं। उनका कहना है कि कंपनी जिस साफ्टेवयर का उपयोग कर रही है और जिस साफ्टवेयर का उपयोग हम कर रहे हैं, उसमें अंतर है। हमारी डिजाइन की साफ्ट कॉपी कंपनी के वर्जन में स्वीकार नहीं हो रही है। इस व्यवस्था को लागू करने से पहले आर्किटेक्ट से बात ही नहीं की गई थी। इसलिए दिक्कत आ रही है। 

chat bot
आपका साथी