यूपी के मदरसों में संचालित मिनी आइटीआइ पर शिकंजा, नहीं चलेगी मनमानी
प्रदेश सरकार मदरसों में संचालित मिनी आइटीआइ पर शिकंजा कसने जा रही है। इसमें प्रवेश से लेकर मूल्यांकन तक में अब मदरसा प्रबंधकों की मनमानी नहीं चलेगी।
लखनऊ, शोभित श्रीवास्तव। प्रदेश सरकार मदरसों में संचालित मिनी आइटीआइ पर शिकंजा कसने जा रही है। इसमें प्रवेश से लेकर मूल्यांकन तक में अब मदरसा प्रबंधकों की मनमानी नहीं चलेगी। साथ ही विभिन्न ट्रेडों में जो विसंगतियां हैं उसे भी सरकार दूर करने जा रही है। इसके लिए सरकार मिनी आइटीआइ नियमावली में संशोधन कर रही है। इस संशोधन के बाद गड़बड़ी करने वाले मिनी आइटीआइ की मान्यता तक वापस ली जा सकेगी।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2005 में मदरसों में 140 मिनी आइटीआइ स्वीकृत किए थे। वर्तमान में 129 मिनी आइटीआइ संचालित हैं। मिनी आइटीआइ के संचालन के लिए जो गाइडलाइन बनी है उसमें बहुत सारे विषयों पर स्थिति साफ नहीं है। इस कारण मदरसा प्रबंधक मनमानी करते हैं। दाखिले से लेकर मूल्यांकन तक में वे अपनी चलाते हैं। इसी को देखते हुए सरकार इसकी नियमावली में संशोधन कर रही है।
नियमावली में यह साफ होगा कि मिनी आइटीआइ में एडमिशन प्रवेश परीक्षा से लिए जाएं या फिर मेरिट से। आंतरिक शैक्षिक मूल्यांकन की क्या व्यवस्था रहेगी। मिनी आइटीआइ में समानता लाने के लिए शैक्षिक कैलेंडर भी जारी किया जाएगा। विभिन्न ट्रेडों में जो विसंगतियां हैं उन्हें भी दूर किया जाएगा। नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग व स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग के पाठ्यक्रम से मिनी आइटीआइ के पाठ्यक्रम में जो भिन्नता है उसे भी दूर किया जाएगा।
परीक्षा के बाद स्क्रूटनी व पुनर्मूल्यांकन की भी स्थिति साफ की जाएगी। अभी इस बारे में नियम साफ नहीं हैं। ग्रेसमार्क से संबंधित विषय के बारे में भी नियमावली में व्यवस्था बनाई जाएगी। इसकी भी अभी कोई व्यवस्था नहीं है। अनुदेशकों के विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के लिए भी नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। यानि अब अनुदेशक भी मनमानी नहीं कर सकेंगे। प्रबंधतंत्र विवादित होने की दशा में मिनी आइटीआइ के संचालन की प्रक्रिया स्पष्ट नही है। इसे भी ठीक किया जाएगा। वहीं मनमानी करने वाले मिनी आइटीआइ की मान्यता तक वापस लेने के प्रावधान जोड़े जा रहे हैं।
संशोधन के लिए बनेगी समिति
उत्तर प्रदेश मदरसा वोकेशनल ट्रेनिंग के निदेशक एसएन पाण्डेय ने गाइडलाइन में संशोधन के लिए एक समिति बनाने का प्रस्ताव सरकार को दिया है। समिति विशेष सचिव या फिर संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में बनाने का प्रस्ताव है। इसमें निदेशक या फिर संयुक्त निदेशक, व्यावसायिक शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक, मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार के साथ ही वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी इसके सदस्य होंगे।