सरकारी पुस्तकों का संकट निजी की भेज दी खेप

षडयंत्र के तहत प्रकाशकों ने बाजार में जमाया अपना कब्जा। अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट, परिजनों के नाम बनी फर्मो के जरिए खेल।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 19 Oct 2018 04:29 PM (IST) Updated:Fri, 19 Oct 2018 04:29 PM (IST)
सरकारी पुस्तकों का संकट निजी की भेज दी खेप
सरकारी पुस्तकों का संकट निजी की भेज दी खेप

लखनऊ(जेएनएन)। यूपी बोर्ड में पहली बार लागू हुआ एनसीईआरटी पाठ्यक्रम षडयंत्र का शिकार हो गया है। जिम्मेदार प्रकाशकों ने जहां सस्ती सरकारी पुस्तकों की बाजार में आवक बेपटरी रखी, वहीं बैकडोर से परिजनों के नाम से दर्ज फर्म से महंगी गाइड व पुस्तकों की खेप भेज दी। ऐसे में विकल्प न होने पर छात्र मनमानी कीमत पर कोर्स खरीदने को मजबूर हुए। साथ ही मोटे मुनाफे के चलते दुकानदारों ने भी धड़ल्ले से बिक्री की। यह सब जानते हुए भी अफसर आंख मूंदे रहे।

माध्यमिक शिक्षा संयुक्त निदेशक मंडल षष्ठ सुरेंद्र तिवारी, डीआइओएस डॉ. मुकेश कुमार व विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बुधवार को छापामारी कर पुस्तकों के सैंपल जब्त किए। वहीं, रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी। रिपोर्ट के मुताबिक थोक पुस्तक विक्रेता शीतला बुक डिपो और पुस्तक वाटिका में सरकारी पुस्तकों का संकट मिला, वहीं निजी पुस्तकों और गाइडों की भरमार। यही नहीं कई निजी किताबों की कवर डिजाइन बिल्कुल सरकारी जैसी है। 

सरकारी की डिमांड पर होती है छपाई

निजी किताबों की बाजार में भरमार देख अधिकारी भी भौंचक्क रह गए। उन्होंने विक्रेताओं से पूछा कि सरकारी किताब क्यों नहीं हैं। ऐसे में विक्रेता बोले कि सरकारी किताबों की छपाई डिमांड भेजने पर ही होगी।

प्रकाशक ने कहा, मैं नहीं, परिवार के सदस्य छापते हैं

दरअसल, छापामारी में सरकारी डिजाइन कॉपी कर छापी गई निजी किताब पर राजीव लिखा है। वहीं अधिकारियों ने भी संबंधित प्रकाशक का सरकार के साथ करार होने का दवा किया। ऐसे में मामला तूल पकड़ने पर राजीव प्रकाशन के मालिक का दावा करने वाले राजीव रंजन अग्रवाल ने कहा कि राजीव प्रकाशन सिर्फ सरकारी किताब छापता है। वहीं परिवार के अन्य सदस्यों ने ‘राजीव’ नाम का टेड मार्क ले रखा है। ऐसे में उनकी भी किताबों पर राजीव नाम लिखा है। मेरे पास ट्रेड मार्क न होने से उन्हें लिखने से मना भी नहीं कर सकता हूं। हालांकि उनकी कंपनी का नाम ग्रीन वल्र्ड इंडिया पब्लिकेशन है। वहीं कवर की डिजाइन हमारी है, वह सरकारी नहीं है। इसलिए वह भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

प्रकाशक को भेजेंगे नोटिस

माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव नीना श्रीवास्तव ने कहा कि रिपोर्ट मिल गई है। प्रकाशक को नोटिस जारी की जाएगी। सरकारी किताबों के कवर की डिजाइन निजी पुस्तकों से मेल खाती है, इस मामले में विस्तृत जांच की जाएगी। साथ ही दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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