जौ के दामों में आया उछाल
ललितपुर ब्यूरो : जौ के दामों में एकाएक आयी तेजी से किसान व व्यापारी सकते में है। आती फसल पर जौ के दाम 990 रुपये प्रति कुण्टल खुले थे। अब इसके दाम बढ़कर 1330 रुपये प्रति कुण्टल पर पहुँच गये हैं। जौ के पैदावार भरपूर होती है। आमतौर पर बुन्देलखण्ड के किसान 30-40 गुनी फसल पैदा कर लेते है। वर्तमान समय में बाजारों में आवक नगण्य बनी हुयी है। आलम यह है कि जानवरों को खिलाये जाने वाले इस जौ के दाम एकाएक बढ़ जाने से पशुपालक साँसत में है।
जौ की फसल रबी के मौसम में बोयी जाती है। गेहूँ के साथ पैदा होने वाली इस फसल को बुन्देलखण्ड के किसान ढालू जमीन पर बोते है। वजह यह है कि यह कम पानी में भी भरपूर पैदावार देने वाली फसल है। भरपूर पैदावार होने की वजह से बुन्देलखण्ड के खेतों में इसे महत्वपूर्ण स्थान मिलता है।
आलोच्य वर्ष में जौ की भरपूर पैदावार हुयी थी। अतिवृष्टि व मौसम के कहर का असर जौ पर नहीं पड़ा। मण्डियों में भरपूर आवक हुयी। संरक्षित करने के स्थान के अभाव के चलते किसानों ने इसे मण्डियों में लाकर चालू भाव में बेचा। अब 6 माह बीत जाने के बाद जौ में एकाएक तेजी आ गयी है। पिछले सप्ताह तक इसके दाम 1200 रुपये प्रति कुण्टल चल रहे थे। एकाएक 130 रुपये प्रति कुण्टल की तेजी आने के बाद भी जौ की आवक नगण्य बनी हुयी है।
बरसात आते ही पशुपालकों को हरी घास मिलना प्रारम्भ हो जाती है। इस वर्ष खरीफ की फसल में किसानों ने अपनी जमीनों का भरपूर उपयोग किया है। घास उगाने के लिये खाली जमीनों का अभाव है। घास कुछ सस्ती जरूर हुयी है पर जौ का उपयोग पशु आहार में चुनी के रूप में किया जाता है। जौ महँगा होने से दुग्ध उत्पादकों की जेब पर असर पड़ेगा। पिछली गर्मियों में भूसे के दामों में बढ़ोत्तरी के बाद दूध के दाम बढ़ गये थे पर भूसा सस्ता होने के बावजूद बढ़े हुये दाम बरकरार बने रहे।
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पशु आहार व बियर उत्पादकों की माँग बरकरार
ललितपुर: पिछले सालों में यह होता था कि हरी घास बरसात के समय भरपूर मात्रा में आने लगती थी जिससे ऐसे मौसम में जौ के दाम स्थिर बने रहते थे। वर्तमान समय में पशु आहार व बियर उत्पादकों की माग बनी हुयी है जिससे ऐसे मौसम में जौ के दामों में एकाएक इजाफा आ गया है। मण्डियों में जौ की आवक कम है तथा माँग लगातार बनी हुयी है।
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भारतीय संस्कृति में है जौ को महत्वपूर्ण स्थान
ललितपुर: जौ का प्रयोग भारतीय संस्कृति में हजारों सालों से किया जा रहा है। मूलत: जौ घास प्रजाति का पौधा है। हिन्दू संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक कार्यो में जौ का प्रयोग होता है। यही वजह है कि किसान इसे बोना नहीं छोड़ते। इसका कारण यह है कि जौ शीतलकारक माना जाता है। आयुर्वेद में जौ का प्रयोग विभिन्न दवाओं के रूप में किया जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में कैल्शियम व विटामिन पाये जाते है। यदि सही तरीके से खीर बनायी जाये तो जौ से बनी खीर गेहूँ से खीर से ज्यादा स्वादिष्ट होती है।