देश की रक्षा में डटे सैनिकों को -40 डिग्री पर भी मिलेगा गरमागरम भोजन

सीएसए में लगे डिफेंस एक्सपो में सेना के लिए बनाए गए इस फूड कंटेनर का लगा स्टाल।

By AbhishekEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 04:32 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 04:09 PM (IST)
देश की रक्षा में डटे सैनिकों को -40 डिग्री पर भी मिलेगा गरमागरम भोजन
देश की रक्षा में डटे सैनिकों को -40 डिग्री पर भी मिलेगा गरमागरम भोजन

कानपुर (जागरण स्पेशल)। सियाचिन व लद्दाख में दुश्मनों से मोर्चा लेने वाले सैनिकों तक गर्म खाना पहुंचने के लिए एक ऐसा फूड कंटेनर बनाया गया है जो -40 डिग्री सेल्सियस की हाड़ कंपा देने वाली ठंड में भी खाने को गर्म रख सकता है। इस तापमान में 12 घंटे बाद भी महज 20 डिग्री सेल्सियस की हीट ही बाहर निकल पाती है।
सीएसए परिसर में लगे डिफेंस एक्सपो में सेना के लिए बनाए गए इस फूड कंटेनर का स्टॉल नेट प्लास्ट ने लगाया।इस फूड कंटेनर में खाने के टिफिन के स्टील को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे हीट बाहर न निकल सके और वह गर्म बना रहता है। इसमें लगा पालीयूरीथीन खाने को एयरटाइट कर देता है जबकिस्टील उसकी ऊर्जा को रोके रहता है। वरिष्ठ प्रबंधक व बिजनेस डेवलपमेंट मैनेजर शरद मिश्रा ने बताया कि 50 हजार से ज्यादा फूड कंटेनर का सेना इस्तेमाल कर रही है।

ऊंची इमारतों में आग लगने पर निकलेगा इमरजेंसी स्केप सूट
डीआरडीओ दिल्ली ने एक ऐसा इमरजेंसी स्केप सूट तैयार किया है जो ऊंची इमारतों में आग लगने पर वहां फंसे लोगों को सुरक्षित नीचे उतार सकता है। इसे फायर ब्रिगेड की सीढ़ी की मदद से 150 फीट ऊंची इमारत में लगाकर नागरिकों को बचाया जा सकता है। बड़ी आसानी से वह इसके जरिए फिसलकर नीचे आ सकते हैं। इसमें बीच बीच में बैठा भी जा सकता है। डीआरडीओ वैज्ञानिक प्रवीण राजपूत ने बताया कि हेलीकॉप्टर से सैनिकों को मैदानी क्षेत्रों में उतारना में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। हेलीकॉप्टर में यह आसानी से बांधा जा सकता है।
दूर बैठे दुश्मनों को ट्रेस करेगा लेजर लोकेटर
दूरबीन से देखकर हमले का मौका तलाशने वाले दुश्मनों को ट्रेस करने के लिए डीआरडीओ ने लेजर लोकेटर तैयार किया है। यह डेढ़ किलोमीटर की दूरी तक कार में व दूर छिपकर बैठे व्यक्ति की हरकतों पर नजर रखने में सक्षम है। इसमें लगे ग्लोबल पोजीशिनिंग सिस्टम (जीपीएस), लो लेवल रेडियो फ्रिक्वेंसी एलआरएफ व सेंसर से धुएं व धुंध में भी देखा जा सकता है।
डीआरडीओर वैज्ञानिक राजेश तिवारी ने बताया कि वीआइपी के आने पर यह सुरक्षा कवच का काम करता है। इसके अलावा सरहदों की निगहबानी करने के लिए भी सेना इसका इस्तेमाल कर रही है। इंटरनेट के जरिए इससे चारों ओर भी देखा जा सकता है। इसकी खासबात यह भी है कि इसमें 24 घंटे रिकॉर्डिंग की जा सकती है। 

chat bot
आपका साथी