Navratri 2022 : बागेश्वरी माता मंदिर में रात में तैयार ज्योति सुबह जलती मिलती, यहां पढ़ें चमत्कार की कहानी

Navratri 2022 कानपुर के बिधनू ब्लाक के मझावन गांव में बागेश्वरी माता मंदिर में जिव्हा रूप में मां विराजमान हैं। नवरात्र के दिनों में मां के दरबार में मत्था टेकने के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मान्याता है कि मां के दरबार में मांगी गई मुराद पूरी होती है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sat, 01 Oct 2022 05:43 PM (IST) Updated:Sat, 01 Oct 2022 05:43 PM (IST)
Navratri 2022 : बागेश्वरी माता मंदिर में रात में तैयार ज्योति सुबह जलती मिलती, यहां पढ़ें चमत्कार की कहानी
Navratri 2022 बिधनू के मझावन गांव में स्थित बागेश्वरी मंदिर।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Navratri 2022 बिधनू ब्लाक के मझावन गांव के एक बाग में स्थित बागेश्वरी माता मंदिर में जिव्हा रूप में मां विराजमान हैं। नवरात्र के दिनों में मां के दरबार में मत्था टेकने के लिए देशभर से भक्त आते हैं। मान्यता है कि मां के दरबार में सच्चे मन से मांगी गईं सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

शारदीय एवं चैत्र नवरात्रों में मां के दरबार में मेले जैसा दृश्य देखने को मिलता है। अनंत चतुर्थी के दिन यहां विशाल मेले के साथ दंगल का आयोजन होता है। प्राचीन मंदिर हजारों भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है।

यहां पढ़ें मंदिर का इतिहास

पिछले 40 वर्षों से माता बागेश्वरी की सेवा करने वाली मालिन सरजू देवी बताती हैं कि मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना है। पूर्वजों के मुताबिक, यहां आम और नीम के पेड़ों का बहुत बड़ा बाग था। एक दिन मझावन गांव का रहने वाला मघई नाम का किसान बाग से होता हुए खेत जा रहा था। तभी उसे नीम के पेड़ के नीचे एक पत्थर की शिला दिखी, जिस पर वह अपनी हसिया रगड़कर धार बढ़ाने लगा। इससे उस शिला से रक्त की धार बहने लगी। जब गांव वालों ने जाकर शिला को गौर से देखा तो उसका आकार जिव्हा के रूप में था। इस पर क्षेत्र की दुर्गावती ने देवी की जिव्हा जानकर उसमें देसी घी के फीहे रखने शुरू किए। इससे शिला से रक्त निकलना बंद हो गया। इसके बाद चंदा कर गांव वालों ने बाग में मां का मंदिर स्थापित किया।

मंदिर की यह है मान्यता

मालिन छेदी देवी ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिन माता का चमत्कार दिखता है। नवरात्र प्रारंभ होने के एक दिन पहले मंदिर में अखंड ज्योति तैयार करके रख दी जाती है, जो सुबह बिना किसी के जलाए खुद जलती मिलती है। भक्त मां को मिष्ठान अर्पित करने के साथ ही मां के घाव पर लगाने के लिए देसी घी लेकर आते हैं। माता सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। किसी समय यहां पर बलि देने की प्रथा थी, जिस पर दंडी स्वामी 1008 महेश्वरानंद महाराज ने रोक लगवाई।

ऐसे पहुंचें मंदिर

कानपुर रेलवे स्टेशन से बारादेवी चौराहे के लिए टेंपो और बस मिलती मिलती है। बारादेवी से साढ़ और फिर वहां से मझावन कस्बा जाकर मां के दरबार तक पहुंच सकते हैं।

मां के दरबार में श्रद्धाभाव से पुष्प अर्पित करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मां करुणायमी हैं, जो सबकी मुरादें पूरी करती हैं। मां के दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता है।- सरजू देवी, मालिन

मां के दर्शन को नवरात्र के दिनों में देशभर से भक्त आते हैं। मान्यता है कि मां के दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्ट मिटते हैं। मां को श्रीफल और चुनरी अर्पित की जाती है।- छेदी देवी, मालिन 

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